For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : बँधी भैंसें तबेले में

ग़ज़ल
बह्र : हज़ज़ मुरब्बा सालिम
1222 , 1222 ,

बँधी भैंसें तबेले में,
करें बातें अकेले में,

अजब इन्सान है देखो,

फँसा रहता झमेले में,

मिले जो इनमें कड़वाहट,
नहीं मिलती करेले में,

हुनर जो लेरुओं में है,
नहीं इंसा गदेले में,

भले हम जानवर होकर,
यहाँ आदम के मेले में,

गुरु तो हैं गुरु लेकिन,
भरा है ज्ञान चेले में..

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1001

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 2:57am

हा हा हा हा.........  अरुन अनन्त भाई...  :-))))))))

इस मुसलसल हास्य ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई.

जय हो.........

Comment by बृजेश नीरज on October 13, 2013 at 6:15pm

वाह! वाह! बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 13, 2013 at 5:20pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय जीतेंद्र भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 13, 2013 at 5:19pm

हार्दिक आभार अजीत जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 13, 2013 at 5:19pm

आदरणीय वीनस भाई जी ग़ज़ल पर आपका आना ही प्रयास को सफल कर देता है आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरे ही अत्यंत सुखद है, अवश्य भाई जी यदि कभी/ कहीं मौका मिलेगा तो जरुर सुनाऊंगा. आशीष एवं स्नेह यूँ ही बना रहे

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 13, 2013 at 5:18pm

हार्दिक आभार आदरणीय आशुतोष जी स्नेह यूँ ही बना रहे

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 13, 2013 at 5:18pm

हार्दिक आभार आदरणीया महिमा श्री जी

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 13, 2013 at 11:05am

बँधी भैंसें तबेले में,

करें बातें अकेले में,.......वाह! हा हा हा
अजब इन्सान है देखो,
फँसा रहता झमेले में,.....हँसते हँसते, सच्ची बात भी
वाह! आदरणीय अरुण अनंत जी, मजा आ गया, आदरणीय वीनस जी के कहने अनुसार, कभी मंच पर जरुर सुनाईयेगा यह गजल, हंसी से लोट पोट हो जायेंगे, हम सब..  :))
Comment by अजीत शर्मा 'आकाश' on October 13, 2013 at 10:43am

उम्दा !!!

Comment by वीनस केसरी on October 12, 2013 at 1:52am

बँधी भैंसें तबेले में,

करें बातें अकेले में,

हा हा हा जय हो जय हो मजा आ गया ... दिल खोल कर हंसा हूँ

हास्य ग़ज़ल की सभी खोबिया समेटे हुए मस्त मस्त ग़ज़ल हुई है ....

गुरु तो हैं गुरु लेकिन,
भरा है ज्ञान चेले में.. ........... इस शेर में तो अलग ही मजा है /// कभी ये ग़ज़ल आपसे मंच से सुनेगे ... :))))))))

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर  होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service