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गीत (दूरियाँ जो ये बढ़ सी रही दरमियाँ)

गीत (दूरियाँ जो ये बढ़ सी रही दरमियाँ)

दूरियाँ जो ये बढ़ सी रही दरमियाँ, कोशिशें करके इनको घटा दीजिए,

एक कदम मैं चलूँ, एक कदम तुम चलो, धूल नफरत की दिल से हटा दीजिए।

 

कहना चाहते हो गर तुम तो खुल के कहो,

वरना रिश्ता ये बदनाम हो जाएगा,

लाख चाहो छुपाना ज़माने से पर,

एक दिन ये सरेआम हो जाएगा,

सुबह की चाय में घोलकर प्यार को, थोड़ी - थोड़ी सी सबको पिला दीजिए,

एक कदम मैं चलूँ, एक कदम तुम चलो, धूल नफरत की दिल से हटा दीजिए।

दूरियाँ जो ये बढ़ सी रही दरमियाँ......

 

फेरना ना निगाहें हमें देखकर,

रूठ बैठे हो हमसे क्या काफी नहीं,

गल्तियाँ हो ही जाती हैं इन्सान से,

ऐसा भी क्या हमें कोई माफी नहीं,

मन तुम्हारा अगर हमसे चोटिल हुआ, उसमें यादों का मरहम लगा दीजिए,
एक कदम मैं चलूँ, एक कदम तुम चलो, धूल नफरत की दिल से हटा दीजिए।

दूरियाँ जो ये बढ़ सी रही दरमियाँ......

 

याद है एक दिन आप हमको मिले,

गालों पर मोतियों की थी बिखरी लड़ी,

बादलों ने उकेरी जो तेरी छवि,

आँसू बरसे वहाँ से भी बनके झड़ी,

इस उफनती नदी को मेरी आँख के, गहरे सागर में लाकर समा दीजिए,

एक कदम मैं चलूँ, एक कदम तुम चलो, धूल नफरत की दिल से हटा दीजिए।

दूरियाँ जो ये बढ़ सी रही दरमियाँ......

.

सुशील जोशी

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 1031

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Comment by गिरिराज भंडारी on October 6, 2013 at 2:54pm

आद्रणीय सुशील भाई , भाव पूर्ण और सुन्दर गीत रचना के लिये आपको हार्दिक बधाई !!

Comment by वेदिका on October 6, 2013 at 1:50pm

कहना चाहते हो गर तुम तो खुल के कहो,

वरना रिश्ता ये बदनाम हो जाएगा,

लाख चाहो छुपाना ज़माने से पर,

एक दिन ये सरेआम हो जाएगा, 

सुबह की चाय में घोलकर प्यार को, थोड़ी - थोड़ी सी सबको पिला दीजिए,,,,, प्रभावोत्पादक बंद गढ़ा गया है|

एक कदम मैं चलूँ, एक कदम तुम चलो, धूल नफरत की दिल से हटा दीजिए।,, बहुत खूब स्थायी चुना आपने|

बधाई स्वीकारिए आ0 सुशील जी!

Comment by Sushil.Joshi on October 6, 2013 at 1:31pm

तहे दिल से आपका धन्यवाद आदरणीय शिज्जू जी....

Comment by Sushil.Joshi on October 6, 2013 at 1:30pm

गीत पर अपने विचार लिख कर उसे पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय कपीश जी....

Comment by Sushil.Joshi on October 6, 2013 at 1:29pm

जो स्वयं गीत हो उसे यदि गीत पसंद आता है तो इससे अच्छी बात भला क्या हो सकती है.....बहुत बहुत धन्यवाद आपका आदरणीय जितेन्द्र जी...

Comment by Sushil.Joshi on October 6, 2013 at 1:28pm

आदरणीय गणेश भाई... आपने रचना को सराहा एवं अपना स्नेह दिया.... इसके लिए आपको दिल की गहराइयों से नमन....

Comment by Sushil.Joshi on October 6, 2013 at 1:27pm

शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार आपका आदरणीय रविकर जी...

Comment by Sushil.Joshi on October 6, 2013 at 1:26pm

पसंद कर अपनी टिप्पणी देने के लिए हार्दिक धन्यवाद आपका आदरणीय अभिनव जी...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 6, 2013 at 12:15pm

बहुत बढिया आदरणीय सुशील जोशी जी इस खुबसूरत गीत के लिये मैं दिल से दाद देता हूँ

Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 6, 2013 at 11:41am

वाह!!! क्या गीत लिखा है आदरणीय सुशील जी , बहुत ही भावपूर्ण । छंद की बंदिशे तो मै  नहीं जानता , पर हर छंद गेय और अपने-आप में वजनदार लगा मुझे  । खासकर " स्थायी "-एक कदम मै चलूँ , एक कदम तुम चलो , धूल  नफरत की दिल से मिटा दीजिये । इतनी सुन्दर रचना के लिए बधाई । 

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