For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रूपसी

सुंदर, सकल काया, से सभी के ह्रदय में,

अनुकूल जोश भर, जाती है वो रूपसी,

नयन उचारें जब, मधु से भी मीठे बोल,

तब मदहोश कर, जाती है वो रूपसी,

मन है पवित्र ऐसे, गंगा का हो जल जैसे,

जितने भी दोष, तर, जाती है वो रूपसी,

लता सी कमरिया को, जब लचकाती चले,

सबको बेहोश कर, जाती है वो रूपसी।

-------------------------------- सुशील जोशी

"मौलिक अप्रकाशित"

Views: 888

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil.Joshi on October 6, 2013 at 2:30am

बहुत बहुत आभार आदरणीय शिज्जू भाई साहब.....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 4, 2013 at 9:43pm

बहुत बढ़िया प्रस्तुति आदरणीय सुशीलजी बधाई स्वीकार करें

Comment by Sushil.Joshi on October 4, 2013 at 9:09pm

बहुत बहुत धन्यवाद आपका आदरणीय संजय जी....

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on October 4, 2013 at 9:14am

क्या ही सुंदर प्रवाहमायी धनाक्षरी रची आपने आदरणीय सुशील भाई जी....

इस निमित्त सादर बधाई स्वीकारें

Comment by Sushil.Joshi on October 4, 2013 at 6:29am

आप सभी आदरणीयों का ह्रदय से आभार.... जिस प्रकार से आप मेरा उत्साह बढ़ा रहे हैं वह देखकर मन प्रफुल्लित हो उठा है.... एवं और भी अधिक एवं कुछ अच्छा लिखने का मन होता है..... आप सभी अग्रजों को सादर प्रणाम एवं अनुजों को बहुत बहुत स्नेह एवं आशीर्वाद...

Comment by annapurna bajpai on October 3, 2013 at 10:21pm

सुंदर रचना बहुत बधाई आपको । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 10:12pm

शृंगार रस पगा सुन्दर कवित्त 

शुभकामनाएं आ० सुशील जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2013 at 9:28pm

ओह्होह.. .   :-))))

Comment by Saarthi Baidyanath on October 3, 2013 at 8:34pm

बढ़िया :)

Comment by Abhinav Arun on October 3, 2013 at 8:29pm

सुन्दर वर्णन करती रचना के हेतु बधाई आदरणीय

.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
20 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service