अकीदत का करो रौशन चिरागाँ काम से पहले
खुदा को याद कर लेना कभी आलाम से पहले आलाम =तकलीफों
तुम्हारे दम से कायम ज़िन्दगी का है निशां यारब
झुके सजदे में सर मेरा किसी ईनाम से पहले
छुपा आगोश में माँ हमपे ममता की करे बारिश
हमें करुणा की ठण्डक दे कभी आराम से पहले
दुआओं की तेरी तासीर इतनी फ़ैज़ इतना माँ तासीर =प्रभाव, फ़ैज़= अनुकम्पा
महक जायें मेरी ये रहगुज़र हर गाम से पहले
दिलों को बाँट के रख दे जहालत की कोई दीवार जहालत= अज्ञानता
हटायें हम चलो मिलकर इसे कुह्राम से पहले
-मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय शिज्जू जी बेहतरीन ग़ज़ल हुई है हरेक अशआर बेहद शानदार बन पड़ा है दिली दाद कुबूल फरमाएं.
छुपा आगोश में माँ हमपे ममता की करे बारिश ... वाह वाह अप्रितम
हमें करुणा की ठण्डक दे कभी आराम से पहले ( आदरणीय यदि कभी को सदा कर दें तो कैसा रहेगा)
दुआओं की तेरी तासीर इतनी फ़ैज़ इतना माँ... बेहतरीन बेहतरीन बेहतरीन
महक जायें मेरी ये रहगुज़र हर गाम से पहले
उपरोक्त दो अशआरों हेतु विशेष तौर से दाद कुबूल फरमाएं.
शिज्जू भाई, अच्छी गज़ल की बधाई । शब्दों के मायने से गज़ल का पूरा आनंद मिला।
आदरणीय शिज्जू भाई , बहुत सुन्दर गज़ल कही है आपने !!! वाह !!! बहुत बधाई !!!
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