For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- सारथी || कोई अच्छा बहाना देख लेना ||

कोई अच्छा बहाना देख लेना

कहीं दिलकश ठिकाना देख लेना /१ 

अगर मिलना हो तुमको हमनशीं से 

तो फिर मौसम सुहाना देख लेना/२  

भले ही मुश्किलों में हम पले हैं

हमारा मुस्कुराना देख लेना/३  

मजा लेना अगर है दुश्मनी का

कोई  दुश्मन पुराना देख लेना /४  

किसी की आबरू यूँ मत उछालो

कभी इज्ज़त गंवाना देख लेना/५  

सितारों की कबड्डी में मजा क्या 

कभी परदा हटाना देख लेना /६  

हमारा ‘सारथी’ है नाम समझे

मिज़ाजे - शाइराना देख लेना /७  

.............................................
*सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित 
बह्र : १२२२ १२२२ १२२ 

 

Views: 978

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत नेमा on September 23, 2013 at 10:14am

बहुत खूब सारथी भाई ....... दाद कबूल करे ..बधाई 

Comment by ajay sharma on September 22, 2013 at 10:30pm

किसी की आबरू ..यूँ मत उछालो

कभी इज्ज़त गंवाना .. देख लेना |

wah wah wah wah     ,,,,shandaar ,,,,,,,

Comment by Saarthi Baidyanath on September 22, 2013 at 8:21pm

श्री जितेन्द्र 'गीत' जी :
चरण-स्पर्श आपको !..आपने बड़ी मेहरबानी की ...दिल से निकले मिसरे ..अगर दिल तक जाते हैं तो हर्ष होता ही है ..! मैं भी हर्षित हूँ महाशय आपका स्नेह पाकर !...व्यक्तिगत आभार आपका !...नमन सहित :)

Comment by Saarthi Baidyanath on September 22, 2013 at 8:18pm

जनाब अभिनव अरुण साहब :
बहुत बढ़िया लगा महाशय आपका पुनः स्नेह पाकर !...आभारी हूँ ह्रदय से !...नमन स्वीकार करें :)

Comment by Saarthi Baidyanath on September 22, 2013 at 8:17pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी :
अनेक धन्यवाद मान्यवर ...! बहुत बहुत शुक्रिया ! कोटि कोटि नमन सहित :)

Comment by Saarthi Baidyanath on September 22, 2013 at 8:16pm

आदरणीय वीनस केसरी साहब :
श्रीमान ..ज़र्रानवाजी का बेहद शुक्रिया ...! नवाजिश मेहरबानी आपकी :)

Comment by Saarthi Baidyanath on September 22, 2013 at 8:13pm

श्री सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर ':
महाशय..सहृदय आभार व्यक्त करता हूँ ..! अभिनन्दन है आपका !..आपने सराहा ..और क्या चाहिए एक रचनाकार को ..!..स्नेह देते रहिएगा !...नमन सहित :)

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 22, 2013 at 10:58am

भले ही मुश्किलों में.... हम पले हैं

हमारा मुस्कुराना...... देख लेना |.......वाह! बहुत गजब का शेर

किसी की आबरू ..यूँ मत उछालो

कभी इज्ज़त गंवाना .. देख लेना |.......यह  शेर बहुत पसंद आया

शानदार गजल , बहुत बहुत बधाई आदरणीय बैद्यनाथ जी

Comment by Abhinav Arun on September 22, 2013 at 10:23am

भले ही मुश्किलों में.... हम पले हैं

हमारा मुस्कुराना...... देख लेना |

             ..कमाल जिंदाबाद शेर है खूबसूरत ग़ज़ल केलीये मुबारकबाद !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 22, 2013 at 7:19am

आदरणीय सारथी जी , लाजवाब ग़ज़ल कही भाई !! बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service