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ग़ज़ल- सारथी || कोई अच्छा बहाना देख लेना ||

कोई अच्छा बहाना देख लेना

कहीं दिलकश ठिकाना देख लेना /१ 

अगर मिलना हो तुमको हमनशीं से 

तो फिर मौसम सुहाना देख लेना/२  

भले ही मुश्किलों में हम पले हैं

हमारा मुस्कुराना देख लेना/३  

मजा लेना अगर है दुश्मनी का

कोई  दुश्मन पुराना देख लेना /४  

किसी की आबरू यूँ मत उछालो

कभी इज्ज़त गंवाना देख लेना/५  

सितारों की कबड्डी में मजा क्या 

कभी परदा हटाना देख लेना /६  

हमारा ‘सारथी’ है नाम समझे

मिज़ाजे - शाइराना देख लेना /७  

.............................................
*सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित 
बह्र : १२२२ १२२२ १२२ 

 

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Comment

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Comment by बसंत नेमा on September 23, 2013 at 10:14am

बहुत खूब सारथी भाई ....... दाद कबूल करे ..बधाई 

Comment by ajay sharma on September 22, 2013 at 10:30pm

किसी की आबरू ..यूँ मत उछालो

कभी इज्ज़त गंवाना .. देख लेना |

wah wah wah wah     ,,,,shandaar ,,,,,,,

Comment by Saarthi Baidyanath on September 22, 2013 at 8:21pm

श्री जितेन्द्र 'गीत' जी :
चरण-स्पर्श आपको !..आपने बड़ी मेहरबानी की ...दिल से निकले मिसरे ..अगर दिल तक जाते हैं तो हर्ष होता ही है ..! मैं भी हर्षित हूँ महाशय आपका स्नेह पाकर !...व्यक्तिगत आभार आपका !...नमन सहित :)

Comment by Saarthi Baidyanath on September 22, 2013 at 8:18pm

जनाब अभिनव अरुण साहब :
बहुत बढ़िया लगा महाशय आपका पुनः स्नेह पाकर !...आभारी हूँ ह्रदय से !...नमन स्वीकार करें :)

Comment by Saarthi Baidyanath on September 22, 2013 at 8:17pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी :
अनेक धन्यवाद मान्यवर ...! बहुत बहुत शुक्रिया ! कोटि कोटि नमन सहित :)

Comment by Saarthi Baidyanath on September 22, 2013 at 8:16pm

आदरणीय वीनस केसरी साहब :
श्रीमान ..ज़र्रानवाजी का बेहद शुक्रिया ...! नवाजिश मेहरबानी आपकी :)

Comment by Saarthi Baidyanath on September 22, 2013 at 8:13pm

श्री सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर ':
महाशय..सहृदय आभार व्यक्त करता हूँ ..! अभिनन्दन है आपका !..आपने सराहा ..और क्या चाहिए एक रचनाकार को ..!..स्नेह देते रहिएगा !...नमन सहित :)

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 22, 2013 at 10:58am

भले ही मुश्किलों में.... हम पले हैं

हमारा मुस्कुराना...... देख लेना |.......वाह! बहुत गजब का शेर

किसी की आबरू ..यूँ मत उछालो

कभी इज्ज़त गंवाना .. देख लेना |.......यह  शेर बहुत पसंद आया

शानदार गजल , बहुत बहुत बधाई आदरणीय बैद्यनाथ जी

Comment by Abhinav Arun on September 22, 2013 at 10:23am

भले ही मुश्किलों में.... हम पले हैं

हमारा मुस्कुराना...... देख लेना |

             ..कमाल जिंदाबाद शेर है खूबसूरत ग़ज़ल केलीये मुबारकबाद !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 22, 2013 at 7:19am

आदरणीय सारथी जी , लाजवाब ग़ज़ल कही भाई !! बधाई !!

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