For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

त्रिभंगी छंद ( प्रकृति को समर्पित)............ डॉ० प्राची

छंद त्रिभंगी : चार पद, दो दो पदों में सम्तुकांतता, प्रति पद १०,८,८,६ पर यति, प्रत्येक पद के प्रथम दो चरणों में तुक मिलान, जगण निषिद्ध 

रज कण-कण नर्तन, पग आलिंगन, धरती तृण-तृण, अर्श छुए  

कर तन मन चंचल, फर-फर आँचल, मुक्त उऋण सी, पवन बहे

सुन क्षण-क्षण सरगम, अन्तर पुर नम, विलयन संगम, भाव बिंधे

सुन्दरतम नियमन, श्रुति अवलोकन, लय आलंबन,  सृजन सुधे 

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 1001

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 8, 2014 at 11:58pm

हार्दिक धन्यवाद प्रिय राम शिरोमणि जी 

Comment by ram shiromani pathak on September 27, 2013 at 5:24pm

बहुत ही सुन्दर त्रिभंगी छंद आदरणीया पढ़कर आनंद आ गया // हार्दिक बधाई आपको //सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 25, 2013 at 6:54pm

आ० चन्द्र शेखर पाण्डेय जी \

रचना पर आपका सराहनात्मक अनुमोदन प्राप्त करना आश्वस्तिकारी है 

सादर धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 25, 2013 at 2:56pm

आ० लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी 

शब्द्संयोजन पर सराहना के लिए हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 25, 2013 at 2:55pm

प्रिय अरुण शर्मा जी 

त्रिभंगी छंद पर मुक्तकंठ से सराहना कर उत्साहवर्धन करने के लिए धन्यवाद 

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on September 25, 2013 at 2:25pm

मुग्ध करती इस सुन्दर त्रिभंगी से साक्षात कराने हेतु हार्दिक आभार आदरणीया प्राची मैम।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 23, 2013 at 3:56pm

सुन्दर शब्द संयोजन में रची प्रकृति को समर्पित छंद त्रिभंगी रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया डॉ प्राची जी |

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 23, 2013 at 3:54pm

आदरणीया प्राची दी आपने प्रकृति को बहुत ही नजदीकी से समझा जाना और छंद बद्ध किया और वो भी इतनी सहजता और सुन्दरता से भाव की नदी ऐसी बही की ह्रदय तृप्त हो गया, वायु इतनी सुन्दर बही कि वाह महका गई. इस सुन्दर शानदार हृदयस्पर्शी प्रस्तुति पर ढेरों ढेरों बधाई स्वीकारें दी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 23, 2013 at 2:57pm

आदरणीय राजेश जी , 

//आपकी शब्‍दावली कुछ इस तरह की होती है जो बरबस अंतर को आंदोलित करती हैं पर इस आंदोलन में हाहाकार नहीं होता है एक मधुसिक्‍तता होती है जो कांत भाव से सबकुछ आच्‍छादित कर लेती है जैसे नुपूर की ध्‍वनि  कभी दूर कभी पास से आती -जाती रहती हो//..........भाई जी, आपके इन शब्दों नें बहुत संतोष प्रदान किया है, अपने लेखन के प्रति आश्वस्ति प्रदान की है..

हृदय तल से आभारी हूँ..

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 23, 2013 at 2:48pm

आदरणीय रविकर जी 

बहुत सुन्दर शब्दों में आपने रचना को अनुमोदित किया.. हार्दिक धन्यवाद 

सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service