For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम योग - कुंडली छंद

बीमारी के अर्थ दो , नहि केवल ये रोग  

इक तो केवल रोग है, दूसर केवल योग   

दूसर केवल योग, बहूत है कठिन समझना   

प्रेम रोग इक भाव , इसे है सरल समझना 

कह सागर सुमनाय,कहो अब कुशल तिहारी  

रोग योग दो अर्थ , प्रेम कहा या बिमारी  

मौलिक व अप्रकाशित 
आशीष श्रीवास्तव (सागर सुमन) 

Views: 828

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on September 4, 2013 at 6:02pm

जय हो आदरणीय, बहुत अच्‍छी लगी आपकी प्रस्‍तुति,सादर

Comment by Meena Pathak on September 4, 2013 at 8:51am

आप ने प्रयास किया ये भी बड़ी बात है ... सुन्दर प्रयास  के लिए बधाई आप को

Comment by Ashish Srivastava on September 3, 2013 at 8:04pm

शिव नतायण जी , अन्नपूरना जी , ब्रिजेश जी , आप सभी का सुझाव् का स्वागत है , शीघ्र ही एक और कुंडली लेकर उपस्थित होता हूँ |

रविकर जी विशेष आभार , कुंडली को सही कर पप्रेषित करने के लिए 

Comment by Ashish Srivastava on September 3, 2013 at 8:01pm

Dr.Prachi Singh जी : संशय समाधान के लिए आप का आभार .......

Comment by रविकर on September 3, 2013 at 7:54pm

बीमारी के अर्थ दो , नहि केवल ये रोग |
इक तो केवल रोग है, दूसर केवल योग
दूसर केवल योग, बहुत है कठिन समझना
प्रेम रोग इक भाव , भाव में नहीं उलझना
कह सागर सुमनाय, कहो अब कुशल तिहारी
रोग योग दो अर्थ , प्रेम भी है बीमारी ||

Comment by रविकर on September 3, 2013 at 7:51pm

क्या बात है क्या बात है क्या बात-
सफल प्रयास-

आभार आदरणीय-


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 3, 2013 at 7:34pm

//मेरी इस छंद में  प्रथम और अंतिम शब्द में मात्र भिन्नता है , क्या ये विधान संगत है या नहीं//

आ० आशीष जी .. एक ही अभिव्यक्ति में बीमारी और बिमारी दो तरह से एक ही शब्द का लिखा जाना बिल्कुल गलत है... इससे यही परिलक्षित होता है कि जहाँ जो बन पड़े फिट कर दो वाली अप्रोच से रचना को लिखा गया है.. और यह भ्रम होता है कि रचनाकार के लिए कौन सा शब्द प्रारूप सही है कौन सा गलत, रचाकार उसे स्वयं ही नहीं जानता 

शब्द को परिवर्तित करके गलत प्रारूप में लिखा जाना हिज्जा दोष होता है जो रचनाओं को असहज बना देता है... इसके प्रति सावधान रहना चाहिये 

सादर.

Comment by बृजेश नीरज on September 3, 2013 at 7:28pm

विचार को संयत कर लेने के बाद ही रचना करनी चाहिए। खुद की अस्पष्टता रचना में भी झलकती है। जैसा आपकी रचना में हुआ है। रोग, योग, बीमारी में आप भी भटक रहे हैं और पाठक को भी भटका रहे हैं।

बहरहाल, इस प्रयास के लिए बधाई!

Comment by annapurna bajpai on September 3, 2013 at 4:23pm

आ० //कह सागर सुमनाय//  की जगह यदि कहे सागर सुमन कविराय // या सागर कविराय // या सुमन कविराय // का प्रयोग कर मात्राए गिन लें । आ० प्राची जी के सुझाव पर  मै सहमत हूँ । 

Comment by Shyam Narain Verma on September 3, 2013 at 1:10pm
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ ,…See More
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service