For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज इस खामोश रात में,तुम को याद में करता हूँ

आज इस खामोश रात में,तुम को याद में करता हूँ
अतीत के बीते पन्नों को,उलट उलट के पढता हूँ

आज इस खामोश रात में,तुम को याद में करता हूँ

जब सर पे तेरा साया था
तब ये ख्याल न आया था
अब ओढ़ के काले अम्बर को
आँचल तेरा समझता हूँ

आज इस खामोश रात में,तुम को याद में करता हूँ

कहता था याद करूंगा नहीं
कभी भी बात करूंगा नहीं
पर आज तुम्हारी यादों को
आँखों में सजा के रखता हूँ

आज इस खामोश रात में, तुम को याद में करता हूँ

तब सपने अपने बुनता था
तुम्हारी एक न सुनता था
अब ज़िक्र तुम्हारी बातों का
में हर महफ़िल में करता हूँ

आज इस खामोश रात में, तुम को याद में करता हूँ

जिन चरणों की सेवा को में
मुसीबत एक समझता था
अब उन्हीं तुम्हारे चरणों के
अहसास को में तरसता हूँ

आज इस खामोश रात में, तुम को याद में करता हूँ

Views: 332

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Bhasker Agrawal on December 25, 2010 at 11:55am
धन्यवाद वीरेन्द्र जी
Comment by Veerendra Jain on December 25, 2010 at 11:52am
bahut hi badiya abhivyakti.. bhaskar ji.. bahut bahut badhai...
Comment by Bhasker Agrawal on December 25, 2010 at 10:15am
धन्यवाद गणेश जी

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 25, 2010 at 9:55am

जब सर पे तेरा साया था
तब ये ख्याल न आया था
अब ओढ़ के काले अम्बर को
आँचल तेरा समझता हूँ ....

भाष्कर जी , यह बेहतरीन रहा, काले अम्बर को आँचल समझना, उम्द्दा ख्यालात है भाई , शायद इंसान की नियति यही है जो मिलता है उसका मोल खोने के बाद समझ मे आता है |

बधाई स्वीकार कीजिये इस बेहतरीन अभिव्यक्ति पर ...

Comment by Bhasker Agrawal on December 25, 2010 at 2:28am
धन्यवाद लता जी
Comment by Lata R.Ojha on December 24, 2010 at 11:27pm
अपनों की कमी उनके ना रहने पर ही सालती है तब हम उन तक ना पहुच पाने की असमर्थता में बस बीते पलों को याद करके रह जाते हैं..अति भावपूर्ण .. 
Comment by Bhasker Agrawal on December 24, 2010 at 10:19pm
आभार अनीता जी
Comment by Anita Maurya on December 24, 2010 at 4:53pm
सच कहा आपने .. जब तक हमारे अपने हमारे पास रहते हैं हम उनकी क़द्र नहीं जान पाते ..लेकिन जब वो हमारी जिंदगी से चले जाते हैं तो उनकी कमी का एहसास होता है ....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
22 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service