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प्रश्न होते हैं ,उत्तर भी होते हैं रास्ते ,

पूर्व-पश्चिम और दक्षिण

सभी दिशाओं मे होते हैं रस्ते

कभी घोड़ों की टापों से कुचले जाते हैं

तो कभी फूलों से सजाये जाते हैं रास्ते

क्या जमीं कया समुंदर आशमां मे भी होते हैं रास्ते

तो क्या मंजिले नसीब नहीं होती सभी को,

पर होते हैं सभी के अपने –अपने रास्ते

कभी मंजिल तक पहुचाते हैं तो कभी खुद मंजिल बन जाते हैं रास्ते

उनकी कहां मंजिलें होती हैं

जो खुद बनाते हैं रास्ते

थककर सो जाते हैं,सोकर उठ जाते हैं

जब वो कदम बढाते हैं तो बन जाते हैं रास्ते

कभी पहाड़ों से रोके जाते हैं,

तो कभी लहरों से मोड़े जाते,

रेगिस्तानी हवाओं मे गुम जाते हैं रास्ते

पर वो कहां भटकते हैं—जो खुद बनाते हैं

रास्ते

 

मौलिक व अप्रकाशित

 

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Comment

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Comment by रविकर on September 2, 2013 at 10:30am

रस्ते पर बढ़िया विचार-
आभार आदरणीय-

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 2, 2013 at 12:31am

सुंदर,सरल रचना अभिव्यक्ति पर, हार्दिक बधाई आदरणीय हेमंत जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 1, 2013 at 6:08pm

बहुत सुन्दर कथ्य प्रस्तुत करती अभिव्यक्ति ...

कभी पहाड़ों से रोके जाते हैं,

तो कभी लहरों से मोड़े जाते,

रेगिस्तानी हवाओं मे गुम जाते हैं रास्ते

पर वो कहां भटकते हैं—जो खुद बनाते हैं रास्ते..................................बहुत सुन्दर कहन

हार्दिक बधाई !

शिल्प के तौर पर यह अतुकान्त रचना अभी बहुत कसावट की मांग करती है.. शुरू की कुछ पंक्तियों में बार बार 'रास्ते' शब्द को न लिख कर भी कथ्य प्रभावी हो सकता है.

सतत लेखन संलग्नता व सजग पाठन यह आवश्यक तत्व स्वतः ही अभिव्यक्तियों को उपलब्ध कराते हैं 

शुभकामनाएँ 

Comment by मोहन बेगोवाल on September 1, 2013 at 1:55pm

उनकी कहां मंजिलें होती हैं

जो खुद बनाते हैं रास्ते- क्या बात हे हेंमत जी , बहुत बहुत बधाई हो , कमाल की सरलता से कही गई कविता 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 1, 2013 at 10:02am

पर वो कहां भटकते हैं—जो खुद बनाते हैं

रास्ते..bilkul सही कहा है आपने ..हम तो दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा ....मनभावन इस कृति पर मेरी हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 1, 2013 at 7:36am

हेमंत भाई , बहुत अच्छी ,सरलता से कही गई बात , रचना के लिये बधाई

Comment by Abhinav Arun on September 1, 2013 at 6:29am

कविता ह्रदय के भावो का सहज सरल प्रवाह है ... और मधुरता सरलता सहज भाव है आपकी इस रचना में ..बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर 

Comment by hemant sharma on September 1, 2013 at 12:46am

आदरणीय श्याम जुनेजा जी धन्यवाद , आपकी बताई गयी बात का मै अवश्य ही ध्यान रखूंगा .......... सादर........

कृपया ध्यान दे...

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