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तान्या : दो प्रेम कविताएँ

एक

चाँद झाँका

बादलों की ओट से ,

चाँदनी चुपके से आ

खिड़की के रस्ते,

बिछ गई बिस्तर पे मेरे/ 

और 

हवा  का एक झोंका,

सोंधी सी खुश्बू लिए

छू कर गया गालों को मेरे /

यूँ लगा मुझको कि

तुम सोई हो मेरे पास ,

मेरी बाहों के घेरे में /

लेकर होठों पर

एक इंद्रधनुषी मुस्कुराहट

तृप्त |

दो

सपने, तान्या

एक दम छोटे से बच्चे 

जैसे होते हैं/

अपने मे खोए से / 

जाने क्या सोचते रहते हैं/

फिर हौले से मुस्कुरा देते हैं/

फिर कुछ गुनगुनाने लगते हैं/

फिर गाने लगते हैं/

फिर नाचने लगते हैं/

फिर चकित हो जाते हैं/

फिर खामोश हो जाते हैं/

फिर उदास हो जाते हैं/

फिर सुबकने लगते हैं/

फिर दर्द की भाप मे बदल जाते हैं/

ओर दिल से उठ कर 

आँखों की कोरों पर आ के 

बैठ जाते हैं/

ओर खोई खोई आँखों से 

अपनी तान्या को खोजने लगते हैं/

फिर उन्ही गालों पर

बहने लगते हैं

जिन्हे तुम ने  चूमा था/

भीगे भीगे इस मौसम मे/

ऐसा ही एक सपना 

मेरे दिल से उठ कर /

मेरी आँखों की कोरों पर 

आ बैठा है/

ओर  खोज रहा है  तुम्हे |

 

 मौलिक एवं अप्रकाशित

                               अरविंद भटनागर ' शेखर'

 

 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2013 at 3:15am

वाह भाई वाह.. . शुद्ध सात्विक समृद्ध सनातन भाव-दशा की सुन्दर अभिव्यक्ति !

बहुत बहुत बधाई हो .. .

Comment by MAHIMA SHREE on August 30, 2013 at 10:13pm

सुंदर .. विरह के क्षणों को कोमल एहसासों से पिरोती सपनो की रंगबिरंगी दुनिया दिखलाती ..बहुत खूब .. बधाई आपको

Comment by राजेश 'मृदु' on August 30, 2013 at 3:17pm

नर्म अहसासों वाली बड़ी सुंदर कविता रची है आपने, सादर

Comment by vijay nikore on August 30, 2013 at 8:35am

सुन्दर भावाभिव्यक्ति .... बधाई।

सादर,

विजय निकोर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 29, 2013 at 9:25pm

आ0 अरविन्द भाई जी, अतिसुन्दर सरस रचना। हृदयतल से हार्दिक बधाई। सादर,

Comment by बृजेश नीरज on August 29, 2013 at 7:55pm

अच्छा है! हार्दिक बधाई आपको!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 29, 2013 at 1:21pm

अरविंद भाई , अति सुदर , वाह !!

ऐसा ही एक सपना 

मेरे दिल से उठ कर /

मेरी आँखों की कोरों पर 

आ बैठा है/

ओर  खोज रहा है  तुम्हे |   बहुत अच्छे !! बधाई !!

 

 

Comment by ARVIND BHATNAGAR on August 29, 2013 at 1:07pm
Adarniya Abhinav Arun ji jitendra ji.Raj Navadavi ji Shyam Narain Varma ji evam Rajesh Kumari ki
Aap sabhi ko haardik dhanyavaad. OBO parivaar ne jis tarah baahen faila ke mera swagat kiya hai, mai abhiboot hun. ..........
Comment by Shyam Narain Verma on August 29, 2013 at 12:54pm

बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें................


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 29, 2013 at 8:55am

दोनों ही कवितायेँ बहुत अच्छी लगी बधाई आपको बेहतरीन भावाभिव्यक्ति 

कृपया ध्यान दे...

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