For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! यही ‘सत्यम’ शिवम् सुन्दर हुआ है !!!

!!! यही ‘सत्यम’ शिवम् सुन्दर हुआ है !!!
बह्र- 1222 1222 122

सकल दुनिया दिखाता जा रहा हूं।
कयामत का सफर सुलझा रहा हूं।।

मेरे मौला मैं तुझको क्या बताऊं,
रूहानी पीर के जैसा रहा हूं।

तेरी चौखट सदा मुझको लुभाती,
कभी तीखा कभी मीठा रहा हूं।

जहां में और भी गम हैं कहूं क्या?
जहां मेला वहीं तन्हा रहा हूं।

मेरी मां ने कहा था सुब्ह उठकर,
पिलाना आब, वो दरिया रहा हूं।

अमीरी छोड़ कर मुफलिस कहाऊं,
तेरे सद् द्वार का सच्चा रहा हूं।

नहीं भाता मुझे अब कोई वादा,
सदा कर्मो में मैं डूबा रहा हूं।

तेरी उल्फत में रंजो गम भुला कर,
अभी तक प्यार को समझा रहा हूं।

बयानी का सदा दस्तूर आसां,
यहां मजहब लड़ें पछता रहा हूं।

कड़ी मिन्नत दुआ बनकर फली जो,
तेरी यादों से दिल बहला रहा हूं।

यही ‘सत्यम’ शिवम् सुन्दर हुआ है,
दया करूणा लुटा हॅसता रहा हूं।

के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

Views: 623

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on August 30, 2013 at 3:24pm

गज़ल पर आपने प्रयास किया, चलिए यहां आप हमसे अधिक हिम्‍मतवाले निकले, मैं रिदम पर चलने वाला आदमी हूं वो गड़बड़ लगी तो जरूर कहूंगा । आपकी इस गज़ल में हिंदी-उर्दू शब्‍दों का मेल-मिलाप मुझे जंचा नहीं । प्रवाह में पहली दो पंक्ति ही गच्‍चा दे गई । खैर आप लगे तो हैं जो अपने आप में बड़ी बात है । थोड़ी अपेक्षा ज्‍यादा रखता हूं, सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 30, 2013 at 11:03am

आदरणीय केवल भाई आपका परिश्रम रंग ला रहा है बहुत ही शानदार ग़ज़ल कही है कुछ शे'रों में तकाबुले रदीफ़ का दोष है कृपया उन्हें सुधार लें. इस शानदार ग़ज़ल पर ढेरों बधाई स्वीकारें.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 29, 2013 at 8:38pm

आ0 जवाहर भाई जी,    आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदयतल से हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 29, 2013 at 7:21pm

वाह वाह ..सत्यम शिवम सुन्दरम! बधाई!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 29, 2013 at 7:21pm

वाह वाह ..सत्यम शिवम सुन्दरम! बधाई!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 29, 2013 at 6:31pm

आ0 जितेन्द्र भाई जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 29, 2013 at 6:30pm

आ0 भण्डारी भाई जी,  आपके अपार स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका अतिशय हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 28, 2013 at 9:33pm

आदरणीय केवल जी , बहुत बढ़िया गजल , हार्दिक बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 28, 2013 at 5:46pm

केवल भाई , बड़ी अच्छी गज़ल हुई , वाह वाह !! बधाई !!

मेरी मां ने कहा था सुब्ह उठकर,
पिलाना आब, वो दरिया रहा हूं।   ---------- वाह वाह !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service