For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! कुण्डलियां !!!

पत्थर जन मन धन चुने, जाति-पाति के संग।
इनके माथे पर लिखा, कामी-मत्सर-जंग।।
कामी - मत्सर - जंग, द्वेष का भाव बढ़ाते।
ढाई  आखर  छोड़,  धर्म  पर  रार  मचाते।।
निश-दिन करे कुकर्म, आड़ हो जन्तर-मन्तर।
बने  स्वयंभू  राम,  कर्म  का  डूबे  पत्थर।।

के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 701

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 2, 2013 at 7:00pm

आ0 सौरभ सर जी,  आपके अपार स्नेह, आशीष और सुझाव के लिए आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार।  सर जी,  मैं अवश्य ही इस पर कार्य करूंगा।  सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2013 at 10:48pm

कामी मत्सर जंग..   एक साथ ये कैसे आ सकते हैं ..  कोई विशेषण है कोई संज्ञा ..

थोड़ी स्पष्टता आवश्यक है.

शुभेच्छाएँ

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 31, 2013 at 8:57am

आ0 रामशिरोमणि भाई जी,  सादर प्रणाम!  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदयतल से आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 31, 2013 at 8:56am

आ0 अन्नपूर्ण जी,  सादर प्रणाम!  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदयतल से आभार।  सादर,

Comment by ram shiromani pathak on August 30, 2013 at 10:06pm

आदरणीय भाई केवल जी  बहुत ही सुन्दर कुंडली रची है आपने  /////

हार्दिक बधाई आपको //सादर

Comment by annapurna bajpai on August 30, 2013 at 9:36pm
वाह ! आ0 केवल भाई जी बहुत ही बढ़िया कुण्डलिया रचे है । बधाई आपको ।
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 30, 2013 at 8:45pm

आ0 भण्डारी भाई जी,  आपके अपार स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 30, 2013 at 8:43pm

आ0 जुनेजा भाई जी,  आपके स्नेह, उत्साहवर्धन और सुझाव हेतु आपका हार्दिक आभार।   बस यूं ही स्नेह बनाये रखिए।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 30, 2013 at 8:37pm

आ0 राजेश भाई जी,  आपके स्नेह, उत्साहवर्धन और अपेक्षित प्रश्न हेतु आपका हार्दिक आभार।  ‘जंग‘ का तात्पर्य मैंने ’दंगा’ और ’आतंक’ से लगाया है।  बस यूं ही स्नेह बनाये रखिए।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 30, 2013 at 8:26pm

आ0 सुजान भाई जी,  आपके स्नेह, उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।   सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service