For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कृष्ण का जीवन दर्शन बहुत गहरा और अद्भुत है , और समझने जैसा है । कृष्ण माखन चोरी करते हैं ,
रास रचाते हैं , राजनीति भी करते हैं , प्रतिज्ञा भी तोड़ते हैं , फिर भी हमने उन्हें भगवान् कहा है पूर्णावतार
कहा है उन्होंने जो भी किया हमने उसे लीला कहा है और बिलकुल जब कोई इतना प्रेमपूर्ण व्यक्ति कुछ भी करता
है तो वो लीला हो ही जाता है ।
कृष्ण का जन्म भी बड़े अद्भुत ढंग से हुआ इसे भी समझ लेना चाहिए कृष्ण का जन्म साधारण गर्भ
से नही हो पाता , और वासुदेव देवकी द्वारा भूमि तैयार की गयी उसकी उन्हों ने पूरी कीमत चुकाई उसकी , उन्हें तपना
पड़ा है और ज़रा सोचिये क्या बीती होगी उस माँ पर जिसने अपनी आँखों के आगे अपने छह बच्चों को मरते देखा होगा ,
कितनी सहनशक्ति आ गयी होगी उसमे , माँ अपने बच्चे के लिए कुछ भी सहने को तैयार हो जाती है , जाने किस सहन शक्ति
से उसने अपने बच्चो को मरते देखा होगा , और जब ये क्षुद्र ममताएं तार तार हुयीं होंगी तब जन्म लिया होगा किसी विराट ममता ने ,अपने दामन में अगर सागर भरना हो तो अपना दामन भी बड़ा करना पड़ता है और अगर हम ज़रा भी महसूस कर पायें वसुदेव देवकी की उस स्थिति को तो शायद आज हम में भी कोई कृष्ण जन्म ले सके । जब वासुदेव देवकी के बीच सालों
तक कोई दूसरा इंसान ना था जब वो भूल ही चुके थे सारी दुनिया को बच्चे होते गए पर उनके बीच कोई न रहे वो हर बार अकेले होते होते गए , जब दोनों के बीच में प्रेम के सिवा कुछ न बचा या कह लीजिये प्रेम ही बचा दोनों नही बचे तब जन्म हुआ उसका
जो इस दुनिया में प्रेम का प्रतीक बन गया , प्रेम को जन्म देना हो तो किसी को ऐसे ही तपना पड़े , कृष्ण प्रसाद हैं वसुदेव और
देवकी के तप का , आइये आज कृष्ण जन्म दिवस पर अपने रोम रोम को कृष्ण मय करते हैं , और ऐसी प्राथना करता हूँ
आप सबके जीवन का हर दिन कृष्ण जन्म दिन बन जाए और हर क्षण आप के जीवन में प्रेम का प्राकट्य हो ।।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज

Views: 458

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on August 29, 2013 at 7:35pm

राम और कृष्ण ये दो ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनका विश्लेषण इतना सरल नहीं। इन्हें समझने के लिए बहुत तप, अध्ययन और मनन की आवश्यकता है।
कृष्ण कर्मयोगी हैं। उनके जीवन को लीला क्यों कहा गया? इस पर आपने प्रकाश नहीं डाला। कान्हा प्रेम के ही प्रतीक नहीं हैं जैसा आज के वैलेन्टाइन फैशन ने उन्हें बना दिया है। वे उससे भी ऊपर बहुत कुछ हैं और जो कुछ भी हैं विलक्षण हैं। वे कर्मयोगी हैं। उनके जीवन दर्शन में कर्म की प्रधानता है।
बहरहाल, आपने विचार यहां प्रकट किए इसके लिए आपको हार्दिक बधाई!
सादर!

Comment by Neeraj Nishchal on August 28, 2013 at 9:53pm

आपको भी जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनाएँ
आदरणीय जीतेन्द्र भाई ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 28, 2013 at 9:31pm

बहुत सुंदर चित्रण, नीरज भाई जन्माष्टमी की शुभकामनायें

Comment by Neeraj Nishchal on August 28, 2013 at 7:03pm

आदरणीय गिरिराज भाई आपको भी जन्माष्टमी की
हार्दिक शुभ कामनाएं ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 28, 2013 at 5:50pm

नीरज भाई , लाजवाब विश्लेषण !!श्री कृष्ण जन्म दिवस की अपको भी बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय, धन्यवाद.  अन्यान्य बिन्दुओं पर फिर कभी. किन्तु निम्नलिखित कथ्य के प्रति अवश्य आपज्का…"
34 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश जी,    ऐसी कोई विवशता उर्दू शब्दों को लेकर हिंदी के साथ ही क्यों है ? उर्दू…"
38 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मेरा सोचना है कि एक सामान्य शायर साहित्य में शामिल होने के लिए ग़ज़ल नहीं कहता है। जब उसके लिए कुछ…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश  ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका बहुत शुक्रिया "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"अनुज ब्रिजेश , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका  हार्दिक  आभार "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. अजय जी,ग़ज़ल के जानकार का काम ग़ज़ल की तमाम बारीकियां बताने (रदीफ़ -क़ाफ़िया-बह्र से इतर) यह भी है कि…"
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही आदरणीय एक  चुप्पी  सालती है रोज़ मुझको एक चुप्पी है जो अब तक खल रही…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सोच को नव चेतना मिली । प्रयास रहेगा…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय बृजेश कुमार जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मैं आपके कथन का पूर्ण समर्थन करता हूँ आदरणीय तिलक कपूर जी। आपकी टिप्पणी इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"धन्यवाद आ. दयाराम मेठानी जी "
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service