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घोटाले कर कर हुई, भ्रष्ट आज सरकार

जनता डर डर रह रही, संसद भी बीमार

संसद भी बीमार, मिलै नहि मोहे चैना  

जुल्मी है सरकार, बड़ा मुश्किल है रहना 

कह सागर सुमनाय, काम तो इनके काले  

खाना बांटे मुफ्त, करे नित नए घोटाले 

आशीष श्रीवास्तव - सागर सुमन
मौलिक एवं अप्रकाशि

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Comment by Ashish Srivastava on August 27, 2013 at 1:23pm

Vasundhara pandey :  aabhar utsah vardhan hetu 

Comment by Ashish Srivastava on August 27, 2013 at 1:20pm

Shyam Narain Verma  ji , utssah vardhan hetu aabhar 

Comment by रविकर on August 27, 2013 at 12:47pm

बहुत सुन्दर भाव आदरणीय-
प्रेरित करते हुवे-
सादर-

घोटा ले ले राल नित, पर पोटा ना जाय |
लोटा क़दमों में मगर, लोटा-थाल बिकाय |


लोटा-थाल बिकाय, हुआ मेरा मन-रेगा |
मिला दबंग प्रधान, दिखा जाता है ठेंगा |


बँटना बंटाधार, लगे ना इस पर ताले |
सड़ा सड़क पर अन्न, महज हो रहे घुटाले ||

Comment by Vasundhara pandey on August 27, 2013 at 11:39am

क्या बात है...बहुत ही सुन्दर...!!

Comment by Shyam Narain Verma on August 27, 2013 at 11:04am
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

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