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दिल की ख्वाहिश ...................

दिल की ख्वाहिश ...................
दिल की ख्वाहिश 
 
एक बार फिर 
दिल की ख्वाहिश है 
कुछ कहने की 
कुछ सुनने की 
कुछ दिल की बातें कहने की 
कुछ किसी के मन की सुनने की 
 
पर किससे पूछूं वह सवाल 
जिसे पूछने का साहस 
अब तक न जुटा सका मन 
कैसे कहूं कि 
धर्म की आग में 
मत करो 
मन होम 
 
कैसे कहूं कि 
दम घुटता है 
जब होता है 
कुछ छूटने का अहसास 
मन टूटने लगता है 
 
फिर उठती हूं 
नए सिरे से 
टूटे तिनके चुनती हूं 
फिर बिनती करती हूं 
 
एक बार मन की बातें 
मन से सोचो 
और फिर 
कुछ मेरी सुनो, कुछ अपनी कहो 
क्योंकि अरसे से सुनने की ख्वाहिश है 
और कुछ कहने की भी...
 

Views: 342

Comment

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Comment by Amit Prabhu Nath Chaturvedi on December 24, 2010 at 11:03am
सभी बंधु वरो का हार्दिक धन्यवाद करता हू
Comment by Bhasker Agrawal on December 23, 2010 at 7:58am
सुन्दर रचना के लिए बधाई

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 22, 2010 at 9:54pm

बेहतरीन रचना है अमित जी,

एक बार मन की बातें 
मन से सोचो 
और फिर 
कुछ मेरी सुनो, कुछ अपनी कहो .....बहुत खूब , दिल को छू लेने वाली पक्तियां, बधाई आपको इस खुबसूरत अभिव्यक्ति के लिये ...आगे भी हम सब को आपकी रचनाओं का और अन्य रचनाओं पर आपके बहुमूल्य टिप्पणियों का इन्तजार रहेगा |
Comment by Arvind Chaturvedi on December 22, 2010 at 11:18am
VERY GOOD AMIT JI

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