For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"क्या ये खबर सही है कि एकाध दिन में दंगे शुरू होने वाले हैं ?"
"बिलकुल सही सुना भाई, खबर एकदम पक्की है." 
"तो फिर क्या प्रोग्राम बनाया ?"
"सोच रहा हूँ कि इस दफा उनकी पार्टी में शामिल हो जाऊं."

"अबे तेरा दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया ? बेगानों का साथ देकर अपनों से गद्दारी करेगा? 
"वो साले बेगाने ज़रूर हैं, लेकिन दिहाड़ी भी तो डबल देते हैं."

Views: 802

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shubhra sharma on August 26, 2013 at 7:19pm

आदरणीय योगराज सर , पैसे के लिए किसी के भी हाथ का खिलौना बन लोग समाज ,देश  को नुकसान करने में नही चुक रहे है , इस लघु कथा के द्वारा  बहुत सही इंगित की है आपने , बधाई स्वीकार करे  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 26, 2013 at 5:41pm

लाजवाब !!!! आदरणीय  योगराज जी !! आज के समाज का नंगा सच यही है , गलती किसकी है ये बहस का विषय है , पर सच तो यही है कि अब पैसा ही इमान है धर्म है !!

Comment by Sonam Saini on August 26, 2013 at 2:31pm

बढ़िया लघु कथा आदरणीय योगराज सर जी।

Comment by वेदिका on August 26, 2013 at 1:10pm

चाहे असंवेदना साबित हो या लालच,,, लेकिन एक संदेश शाश्वत है "भूख का धर्म केवल खाना है" 

बहुत बहुत बधाई आदरणीय योगराज जी! शानदार रचना के लिए !! 

Comment by annapurna bajpai on August 26, 2013 at 12:53pm

आदरणीय प्रभाकर जी आज के परिवेश को उजागर करती आपकी लघु कथा बहुत ही बढ़िया है , बधाई आपको । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 26, 2013 at 12:47pm

आदरणीय वाह बेहद सुन्दर लघु कथा, वर्तमान में लोगों को सिर्फ पैसा ही नज़र आ रहा है उनके हिसाब से घर में पैसा आना चाहिए. चाहे तो अच्छे कामों से आये या गलत, जान भी जोखिम में डालनी पड़ जाये तो पड़ जाये किन्तु पैसा हो आना ही चाहिए. आदरणीय दिल से ढेरों बधाई स्वीकारें बड़ी गहरी बात कह दी आपने लघु कथा के जरिये.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 26, 2013 at 11:06am

पेट के लिए ईमान धर्म बेच देते हैं सच पूछो तो इनका कोई दीन  धर्म मजहब होता ही नहीं असंवेदन शील होते हैं ये लोग जहां हड्डियां मिली कूद पड़ते हैं वहां चिंचोड़ने के लिए ,बहुत गहराई से कम शब्दों में चोट की इस मुद्दे पर आदरणीय योगराज जी बहुत बढ़िया लघु कथा लिखी हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
10 minutes ago
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service