For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" अम्मा ने कहा था"( लघु कथा )

उषा आज फिर देर से आई । मै कुछ पूछने को लपकी ही थी कि उसका चेहरा देख रुक गई, वह सिर पर पल्लू रखे चेहरे को छुपाने का प्रयास कर रही थी । वह अंदर आई और चुपचाप बर्तन उठाये और धोने बैठ गई । उसकी एक  आँख पूरी काली थी चेहरे पर और गर्दन पर कई निशान थे । कुछ न पूछना ही मुझे ठीक लगा । काम निपटा कर वह अंदर आई । मुझसे रहा न गया मैंने पूंछ ही लिया – “उषा क्या बात है आज फिर तुम्हारे पति ने तुम्हें .......” बात पूरी भी न हो पाई कि वह बीच मे ही काट कर बोली – “ नहीं भाभी ये तो देवता का परसाद है , अम्मा ने कहा था कि पति की हर बात, हर काम उसका परसाद समझ सिर माथे लगाना , वो  ही  तुम्हारा देवता है । और वो कड़वी सी हंसी हंस कर चल दी ।   

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 934

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on August 30, 2013 at 4:36pm

आदरणीय विजय निकोर जी , आदरणीय श्याम जी आपका आभार ।

Comment by vijay nikore on August 30, 2013 at 12:22pm

 

आदरणीया अन्न्पूर्णा जी:

 

पति या किसी भी पुरुष की ओर से स्त्रियों के संग होते मानसिक और शारीरिक प्रहार का उन्मूलन करने के लिए हम सभी को बदलना होगा, केवल नारी को नहीं।

 

इस लघु कथा के लिए धन्यवाद

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by annapurna bajpai on August 27, 2013 at 10:28pm

आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार , आपका  मार्ग दर्शन मिलता रहे । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 27, 2013 at 8:37pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी 

पतियों की ज्यादती सहती स्त्रियों की व्यथा को शब्द मिले हैं

पर मुझे लगता है कि अंतिम पंक्ति को सपाट बयान के स्थान पर यदि व्यंग/ कटाक्ष के रूप में  परिवर्तित कर प्रस्तुत किया जाए तो अंत ज्यादा प्रभावी लगेगा.

इस अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ 

सादर.

Comment by annapurna bajpai on August 26, 2013 at 7:36pm
आ० शुभ्रा जी आपका हार्दिक धन्यवाद ।
Comment by shubhra sharma on August 26, 2013 at 1:04pm

आदरणीया अन्नपूर्णा  जी अच्छी कथा हेतु हार्दिक बधाई 

Comment by annapurna bajpai on August 26, 2013 at 12:32pm

आदरणीय वंदना जी आपका धन्यवाद ।  

Comment by annapurna bajpai on August 26, 2013 at 12:30pm

आदरणीय पांडे जी आपके मशविरे के लिए आपका आभार । 

Comment by annapurna bajpai on August 26, 2013 at 12:28pm

आदरणीया मंजरी जी सत्य कथन है आपका , आज महिलाओं को ही जागने की ज्यादा जरूरत है । 

Comment by vandana on August 26, 2013 at 7:31am

जी आज भी देवताओं के प्रति ऐसा समर्पण देख जाता है 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service