For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उसके लिए कहना कितना आसान था,

सुखों के लिए बिक रहा मेरा ईमान था |

 

जो दुखों के पंख लगा के घर में आता है,

उसकी खुशामदीद का क्यों अरमान था |

 

तय की थीं मंज़िलें जिन्होंने दोस्ती की

वो कह गए कि उनका बड़ा एहसान था |

 

मैनें खोद के देखा इंसानियत की परतों को

ना तो वहां रूह थी और कहाँ इंसान था |

 

आओ छुपा दें हर ग़म को आखों में ही

सुख को सुखाना कहां इतना आसान था |

( मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 438

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 5, 2013 at 8:49pm

चंद्रेश जी ..आपके इस सुंदर प्रयास पर हार्दिक बधायी 

Comment by विजय मिश्र on August 5, 2013 at 6:20pm
"मैनें खोद के देखा इंसानियत की परतों को
ना तो वहां रूह थी और कहाँ इंसान था |" इस मिसरे के लिए अलग से दाद देता हूँ चंद्रेशजी . निश्चित रूप मन से उपजी रचना है आपकी ,इसे गढन की जरूरत नहीं .
Comment by Ketan Parmar on August 5, 2013 at 12:48pm

Achaa hai sahab

Comment by Ketan Parmar on August 5, 2013 at 12:47pm

Chandresh Kumar Chhatlani

Konsi behr me hai uska matrik kram bhi post kare

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 5, 2013 at 11:29am

आदरणीय चंद्रेश भाई जी प्रयास बहुत सुन्दर है आपका हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by Abhinav Arun on August 5, 2013 at 5:47am

भाव अच्छे है आपके ह्रदय से सहजता से निस्सृत ..शुभकामनायें !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 4, 2013 at 11:33pm

सुंदर गजल पर, हार्दिक बधाई आदरणीय चंद्रेश कुमार जी

Comment by बृजेश नीरज on August 4, 2013 at 6:46pm

भाव बहुत अच्छे हैं। आपके इस प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई!
मेरा आपसे निवेदन है कि ओबीओ पर मौजूद भारतीय छंद विधान, गजल की बातें समूह के लेखों को पढ़ें।
सादर!

Comment by MAHIMA SHREE on August 4, 2013 at 5:38pm

मैनें खोद के देखा इंसानियत की परतों को

ना तो वहां रूह थी और कहाँ इंसान था....वाह के कहने ... बधाई आपको


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 3, 2013 at 11:25pm

अच्छे ख़याल हैं पर इस रचना को बहरो वज्न की हांड़ी पर काफी पकना है|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
9 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service