प्रिय ! कुछ अव्यक्त पीड़ा
तुम समझ पाते
यदि तुमसे कह दूँ
ये मेरा प्रेम न होगा
अन्तर्मन कर रहा यह
सस्वर करुण पुकार
तुम से छिपा कर
कुछ जख्म सी लिए हैं
कुछ अभी भी बाकी है
स्नेह मरहम रख देते
उन जख्मों पर
सपनों को सँजो लेते
मिल कर बुने थे जो
बनाने को नवनीड़
सुनीड़ दुर्लभ सा
मांग लूँ तुमसे
ये मेरा प्रेम न होगा
प्रिय ! कुछ अव्यकत पीड़ा ......... अन्नपूर्णा बाजपेई
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
अव्यक्त को अभिव्यक्त करते देखना सुखद है आदरणीया.
शुभ-शुभ
आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी आपका हार्दिक आभार ।
ये मेरा प्रेम न होगा प्रिय, अव्यक्त पीड़ा -
पीड़ा में भी प्रेम निहित होता है, जिसे अहसास किया जा सकता है | - आपकी खुबसूरत रचना के लिए बधाई
adarniy mathur ji , aditya ji , rana pratap ji evm mahima ji ap sabka hardik abhar .
अनकही भावनाओ की कोमल अभिवयक्ति ..बहुत -२ बधाई आदरणीया
स्नेह मरहम रख देते
उन जख्मों पर
सपनों को सँजो लेते
मिल कर बुने थे जो
बनाने को नवनीड़
सुनीड़ दुर्लभ सा
आमीन
ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति|
अव्यक्त पीड़ा की उत्तम अभिव्यक्ति ! आपको बधाई
प्रिय ! कुछ अव्यक्त पीड़ा
तुम समझ पाते
यदि तुमसे कह दूँ
ये मेरा प्रेम न होगा
अन्तर्मन कर रहा यह
सस्वर करुण पुकार
तुम से छिपा कर
कुछ जख्म सी लिए हैं
आदरणीया सच्चे रिश्तो में यह उम्मीद लगभग सभी को रहती है ,
अच्छी रचना की आपको बधाई !,
आदरणीय बृजेश जी , आपका हार्दिक आभार ।
बहुत सुन्दर! ये अपेक्षा होती है कि अपना प्रिय मन की व्यथा को बिना कहे समझ सके और अपनत्व का स्नेहिल स्पर्श ऐसे वक्त में अपने प्रिय से प्राप्त हो। आपने भावों को बहुत सुन्दरता से पिरोने का प्रयास किया है। आपको हार्दिक बधाई!
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