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जिंदगी दूर तक !

सम्मानीय सादर नमन !!

 मेरी पहली पोस्ट आप सब के हवाले
 ************************************
जिंदगी दूर तक !
तीरगी दूर तक !!
 
दिखती अब नहीं ,
रौशनी दूर तक !!
 
आँखों में ख्वाब थे ,
है नमी दूर तक !!
 
ले के आयी हमें ,
तिश्नगी दूर तक !!
 
मैं गलत ही सही ,
तू सही दूर तक !!
 
लुत्फ़ देने लगी ,
गुमरही दूर तक !!
 
छोर दिखता नहीं ,
आखरी दूर तक !!
 
लिखते  ''अम्बर'' चले ,
शायरी दूर तक !!
.
**मौलिक एवं अप्रकाशित ***

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Comment

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Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2013 at 3:28pm

पहला ही प्रयास आपके प्रति उम्मीद बँधा रहा है, आदरणीय.

शुभेच्छाएँ.

ग़ज़ल प्रस्तुत करें तो मिसरों के बह्र या उनकी मात्रादि अवश्य दे दिया करें.  जैसे इस ग़ज़ल क् िसरों की मात्रा २१२ २१२  है. 

शुभम्

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on July 30, 2013 at 4:53pm

बधाईयां मित्रवर।

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 30, 2013 at 12:02pm

बेहतरीन प्रयास हुआ है आदरणीय बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने, दिखती की मात्रा २२ होती है यदि दीखती कर देते तो वज्न ठीक हो जाता, आपने २१२, २१२ वज्न पर लिखी है ये ग़ज़ल, हार्दिक बधाई स्वीकारें. 

Comment by arvind ambar on July 29, 2013 at 10:55pm

sammaniya  Basant Nema ji............pasandgi ke liye shukriya aapka...........aapko nishchit hi door tak sunaane ki koshish karta rahunga ji......naman!!

Comment by arvind ambar on July 29, 2013 at 10:54pm

sammaniya Vijay mishra ji.............is bhavnamay prtikiriya ke liye bahut aabhri hun ji aapka naman!!

Comment by बसंत नेमा on July 29, 2013 at 10:26am
लिखते  ''अम्बर'' चले ,
शायरी दूर तक !!    और हमे यू ही आप की रचना पढने को मिलती रहे दूर तक 

बहुत सुन्दर ... बधाई 

Comment by arvind ambar on July 27, 2013 at 9:31pm

Shyam Narain Verma tah e dil se shukriya aapka

Comment by Shyam Narain Verma on July 27, 2013 at 1:51pm

बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

Comment by विजय मिश्र on July 27, 2013 at 1:35pm
आपकी ये 'दूर तक '-सच तो ये है कि मन के बहुत करीब है , बधाई हो आपको भी बहुत दूर तक .

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