For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी पाती
मेरे नन्हे नन्हे पाँव,
पगडंडियों पर लम्बी दौड़,
पलकों में तिरती सुनहरी तितली,
फूलझड़ी से सपने -
सखी ! आज मैं उन सपनों को
मैके के झरोखों में टाँक आयी हूँ.

नभ का विस्तार,
धरती अम्बर का मिलन,
झिलमिल तारे पुँज,
सब मुझे लुभाते -
सखी ! मैं सितारों की चुनरी ओढ़
बाबुल का आकाश छोड़ आयी हूँ.

समुद्र की उत्ताल तरंगें,
रेत पर खींची लकीरें,
मेरे चुने हुए रंगीन सीपों का झुरमुट -
सखी ! कह दो लहरों से,
ये खज़ाने मैं तटों पर छोड़ आयी हूँ.

नीली आँखों वाली मेरी चीनी गुड़िया,
सिक्कों से भरा बंद गुल्लक,
परिकथा की चंद किताबें -
सखी ! मेरी वह अमूल्य धरोहर
बिछुड़े हुए बचपन को सौंप आयी हूँ.

गुलमोहर सुर्ख होकर खिलेगी,
अमलतास कनक कुण्डल पहन झूमेगी,
जकरण्डा बेंगनी वसन पर इतराएगी,
पूछेंगी वे सब मेरा पता,
करेंगी अभिमान,
कुछ ज़मीन पर बिछ जाएँगी -
सखी! उन्हें मेरी पाती पढ़कर सुना देना
लहरों के तख्तों पर जो मैं लिख आयी हूँ.
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 768

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on July 22, 2013 at 10:45pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, प्राची जी, भाई केवल प्रसाद व बृजेश जी, कुंती अभिभूत है आप लोगों की प्रतिक्रिया से. उसकी ओर से मैं आभार व्यक्त करता हूँ. साथ ही आदरणीय जवाहर जी का भी हार्दिक आभार.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 22, 2013 at 9:39pm

बहुत ही सुन्दर भाव और शब्द समन्वय!

Comment by coontee mukerji on July 22, 2013 at 9:39pm

आप सभी ने मेरी रचना को इतना मान दिया , तहे दिल से आभार व्यक्त करती हूँ.

Comment by बृजेश नीरज on July 22, 2013 at 8:17pm

आदरणीया कुन्ती जी आपकी यह रचना पढ़ते पढ़ते सहगल से लेकर लता तक कितने गीत और लोकगीत कानों में गूंज गए। मैंने आज तक मायके की यादों को समर्पित इतना सुन्दर अतुकान्त पहले नहीं देखा।
कुछ कहने को है नहीं बस पढ़ रहा हूं बार बार।
आपको नमन!
सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 22, 2013 at 8:06pm

आदरणीया कुंती जी 

बहुत सुन्दर , कोमल भावों की प्रस्तुति 

सखी ! आज मैं उन सपनों को 
मैके के झरोखों में टाँक आयी हूँ..........वाह! दिल तक पहुँच रहें हैं ये शब्द 

नीली आँखों वाली मेरी चीनी गुड़िया,
सिक्कों से भरा बंद गुल्लक, 
परिकथा की चंद किताबें -
सखी ! मेरी वह अमूल्य धरोहर
बिछुड़े हुए बचपन को सौंप आयी हूँ......सहज सरल शब्द और दिल से जुड़े अनमोल भाव..

बहुत बहुत बधाई आदरणीया 

सादर.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 22, 2013 at 7:23pm

आ0 कुन्ती मैम जी,   वाह! वाह!  लाजवाब अद्भुत!  अप्रतिम सुन्दर प्रस्तुति।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 22, 2013 at 11:05am

समुद्र की उत्ताल तरंगें,
रेत पर खींची लकीरें,
मेरे चुने हुए रंगीन सीपों का झुरमुट -
सखी ! कह दो लहरों से, 
ये खज़ाने मैं तटों पर छोड़ आयी हूँ.----दिल तक पंहुच गई आपकी ये रचना क्या कहूँ शब्द ही नहीं मिल रहे एक अवर्णनीय अहसास से गुजर रही हूँ बधाई बधाई इस अप्रतिम रचना के लिए आदरणीय कुंती जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
15 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service