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दर्पण पे जमी हो धूल तो श्रृंगार कैसे हो,

भूखा हो जब आदमी तो प्यार कैसे हो .

पढ़ लिख कर सब बन गए दफ्तर के बाबू ,

खेतों में अनाज की अब पैदावार कैसे हो .

मंहगाई को जीद है अब छूने को आसमां,

गरीबों के घर तीज और त्यौहार कैसे हो .

मतलब नहीं है देश के आदमी को देश से,

राम जाने इस देश का बेड़ा पार कैसे हो .

ले चल मुझे अब दूर कहीं मुर्दों के शहर से ,

मुर्दों के शहर में गजल का कारोबार कैसे हो.

. ……. नीरज कुमार ‘नीर’

मेरी यह रचना पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित है .

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Comment

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Comment by Neeraj Neer on July 27, 2013 at 10:42pm

 बहुत आभार आदरणीय वीनस केसरी जी . आपकी बधाई सचमुच कुछ खास है . मैं आपकी ग़ज़ल की बातें का विद्यार्थी हूँ और बहर सीखने का प्रयास कर रहा हूँ . 

Comment by वीनस केसरी on July 27, 2013 at 1:03am

सुन्दर रचना है
हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by Neeraj Neer on July 18, 2013 at 1:35pm

आदरणीय बृजेश जी , यह दरअसल जिद है . 

Comment by coontee mukerji on July 18, 2013 at 1:27pm

ले चल मुझे अब दूर कहीं मुर्दों के शहर से ,

मुर्दों के शहर में गजल का कारोबार कैसे हो.......बात तो सच है.....

Comment by बृजेश नीरज on July 18, 2013 at 11:43am

इस रचना पर आपको हार्दिक बधाई!
भइया 'जीद' का अर्थ क्या होता है? कृपया बतलाने का कष्ट करें।

Comment by MAHIMA SHREE on July 17, 2013 at 9:11pm

मतलब नहीं है देश के आदमी को देश से,

राम जाने इस देश का बेड़ा पार कैसे हो... वाह !! बहुत सही कहा आपने ... हरेक शेर दिल को छु गयी .. बहुत -२ हार्दिक बधाई आपको


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Comment by rajesh kumari on July 17, 2013 at 8:37pm

मंहगाई को जीद है अब छूने को आसमां,

गरीबों के घर तीज और त्यौहार कैसे हो .---बहुत सुन्दर पंक्तियाँ बहुत सार्थक प्रस्तुति बधाई आपको 

Comment by बसंत नेमा on July 17, 2013 at 3:49pm

बहुत सुन्दर आ0 नीरज जी ... 

Comment by Parveen Malik on July 17, 2013 at 1:03pm

बहुत बढ़िया ...

पढ़ लिख कर सब बन गए दफ्तर के बाबू ,

खेतों में अनाज की अब पैदावार कैसे हो .

मंहगाई को जीद है अब छूने को आसमां,

गरीबों के घर तीज और त्यौहार कैसे हो .

मतलब नहीं है देश के आदमी को देश से,

राम जाने इस देश का बेड़ा पार कैसे हो .

Comment by Neeraj Nishchal on July 17, 2013 at 12:58pm

बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही आपने ....

बहुत बहुत शुभकामनायें

कृपया ध्यान दे...

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