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मंहगाई में होली

(पति पत्नी में मंहगाई को लेकर होली पर नोकझोक)

बलम ना करो बलजोरी

अबके फागुन खेलूंगी ना

तोरे संग मैं होरी .

बलम ना करो बलजोरी .

 

मेरी बात माने नाहीं  

मैं ना मानूंगी तोरी.

बलम ना करो बलजोरी.

बलम ना करो बलजोरी.

 

चांदी की पिचकारी लाओ,

लाओ रंग गुलाबी लाल,

जयपूर से लंहगा लाओ

तब जाकर छुओ गाल.

***********

मंहगाई की मार ने गोरी

जीना किया मुहाल.

पिचकारी मंहगी हुई

मंहगा हुआ गुलाल.

आओ हम रंग चुरा लें

प्रीत की फुलवारी से

आओ खेले हम होली

नयनन की पिचकारी से.

नयनन की पिचकारी से

एक दूजे को रंग लगाएंगे

हाथों में ले अबीर नेह का

गालों को लाल कर जायेंगे.

............नीरज कुमार ‘नीर’

यह मेरी मौलिक एवं अप्रकाशित रचना है.

 

 

 

 

 

 

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Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 27, 2013 at 4:18am

अगर पत्नी मान जाय आपकी बातों को 

समझ सके आपके मन के जज्बातों को 

तो समझिए आपका घर स्वर्ग है 

आपको सपरिवार होली मुबारक!

Comment by coontee mukerji on March 25, 2013 at 8:57pm

नीरज जी, महंगाई की  आढ़ लेकर कोई भी पति बच नहीं पाएगा . होली तो  होली  है.......!

Comment by राजेश 'मृदु' on March 25, 2013 at 12:42pm

एक गीत है ' मो से छल किए जाए, हाय रे हाय  सैयां बेईमान''  बहुत बधाई

Comment by बृजेश नीरज on March 25, 2013 at 11:31am

नीरज जी चाहे जितना समझाइए पत्नी मानेगी नहीं। ये भावनात्मक बातें शादी के बाद डिमांड पूरी होने पर ही पत्नी को समझ में आती हैं।
मेरी बधाई स्वीकारें। साथ ही होली की शुभकामनाएं। कम से कम सलवार सूट ही पत्नी को खरीद दीजिएगा।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 24, 2013 at 4:45pm

सुन्दर अभिव्यक्ति, हार्दिक बधाई श्री नीरज कुमार "नीर"

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 24, 2013 at 2:00pm

आदरणीय,नीरज कुमार ‘नीर‘ जी, बहुत - बहुत सुन्दर!  बधाई स्वीकार करें।

Comment by Pawan Kumar on March 24, 2013 at 1:45pm

होली का बहुत ही सुन्दर गीत पति-पत्नी के बीच का सुन्दर भाव, अति उत्तम।

Comment by ram shiromani pathak on March 24, 2013 at 1:13pm

bahot sundar bhai neeraj ji................badhai ho

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