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शक्ति है मात्र नारी (महाभुजंगप्रयात सवैया)

विधान : महभुजंगप्रयात सवैया - यगण (।ऽऽ) X 8

नहीं पुत्रियाँ क्या रहीं पुत्र जैसी उठा चिन्तनों में यही प्रश्न भारी
यही सोचते रात्रि बीती हमारी समाधान पाया नहीं बुद्धि हारी
पढ़ा सत्य है पुत्रियाँ हैं नहीं पुत्र जैसी कभी भी न होतीं विकारी
न मारो इन्हें गर्भ में पुत्र से श्रेष्ठ हैं मान लो शक्ति है मात्र नारी
*******************************


डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 5, 2013 at 9:38am

धन्यवाद और आभार राम जी

Comment by ram shiromani pathak on June 4, 2013 at 6:40pm

आदरणीय,बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है अपने हार्दिक बधाई //सादर 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 4, 2013 at 5:16pm

क्षमा प्रार्थी हूँ सौरभ जी.......आगे से ध्यान रखूँगा 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 4, 2013 at 5:14pm

 मेरे जैसे रचनाकार से ऐसी भूल अपराध है है बागी जी.......आपकी महानता है जो उसे मात्र भूल कह कर उपेक्षा कर दी......आभार आपका 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 4, 2013 at 1:06pm

आदरणीय आशुतोषजी,  सर्वगामी छंद वस्तुतः तगणाश्रित समूह का वृत है. किन्तु आपने शिल्प महाभुजंगप्रयात का दिया था. अतः मैं थोड़ा ऊहपोह में आ गया.

चलिये हम मिलजुल कर सीखते हुए आगे बढ़ते रहेंगे. यही तो इस मंच का मूल उद्येश्य है.

इसी मंच के समूह टैब में एक वर्ग है भारतीय छंद समूह. वहाँ कतिपय छंदों पर प्रविष्टियाँ हैं. अन्य छंदों के विधानों पर भी आलेख आते रहेंगे. उनमें सवैया और उसके कई प्रारूपों पर भी प्रविष्टियाँ हैं. अवसर मिले तो एक नज़र डालियेगा..

http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:To...

सादर


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 4, 2013 at 12:28pm

//मुझसे बड़ा अपराध हो गया कृपया उसे महाभुजंग प्रयात छन्द ही समझे और यदि संभव हो तो मूल पोस्ट में भी सही करवा दें //

अपराध जैसी कोई बात नहीं आदरणीय, इसे भूल कहना पर्याप्त होगा, मूल पोस्ट संशोधित हो गई है । 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 4, 2013 at 10:57am

आपका कथन सत्य है सौरभ जी  सर्वगामी छन्द (७ तगण २ गुरु) का यह शिल्प है मुझसे बड़ा अपराध हो गया कृपया उसे महाभुजंग प्रयात छन्द ही समझे और यदि संभव हो तो मूल पोस्ट में भी सही करवा दें 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 4, 2013 at 9:44am

योगेन्द्र जी धन्यवाद 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 4, 2013 at 9:43am

जहां तक मै जानता हूँ महाभुजंग प्रयात छन्द का शिल्प ७ यगण लघु गुरु होता है सौरभ जी......संभव है मै गलत हूँ एक बार देख कर स्पष्ट कर दूँगा........कभी के साथ भी के प्रयोग का प्रयोग अनुचित है, यह बात मेरे संज्ञान में नहीं है,,,,इसे आपका सद्परामर्श मान कर आगे के लिए ध्यान रखूँगा.......बहुत बहुत आभार 

Comment by Yogendra Singh on June 3, 2013 at 10:48pm

अति सुंदर...

कृपया ध्यान दे...

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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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