For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निवेदन (घनाक्षरी छंद )

कहते हो देशभक्त ,यदि अपने को आप !
लोग दे उदहारण ,ऐसा कर जाइये !!
तन मन धन सब ,लगाओ देश सेवा में !
लोग आप से ले सीख ,कुछ तो बताइये !!

देश का भी हो विकास ,खुद भी विकास करो !
जग में हो नाम ऐसे ,मान को बढ़ाइये!!

मात्र भाषणों से काम, चल नहीं सकता है !
कुछ तो यथार्थ आप, कर के दिखाइए!!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक /अप्रकाशित

Views: 620

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on June 3, 2013 at 1:40am

bhai ram shiromani ji bahut badhiya ghanaxari likhi hai apko badhi .

Comment by ram shiromani pathak on June 2, 2013 at 12:37pm

मै आपसे सहमत हूँ आदरणीय सौरभ जी, आगे से ध्यान दूंगा ऐसी गलती ना हो //क्षमा प्रार्थी हूँ //


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 2, 2013 at 12:25pm

आप ही नहीं कोई हो, यदि नियमों को स्थूल रूप में ले तो कई अवसर आयेंगे जब एक रचनाकार के तौर पर झुंझलाहट होगी या उसको ’निभाने’ की ’विवशता’ सामने आयेगी. 

किन्तु, यदि मंच के नियमों के अंतर्निहित भावों को हृदयंगम करें तो इन नियमों की व्यापकता और सात्विकता के प्रति स्वयं ही हृदय में श्रद्धा के भाव उपजेंगे.

आवश्यक क्या है, भाईजी , पद्य के मूल और गूढ स्वरूप को समझना, तदनुरूप अभ्यास करना, या अपनी ’अधपकी’ रचना को व्यापक करने की बाल सुलभ शीघ्रता करना ?

मैं जानता हूँ, किसी प्रस्तुति में सम्पूर्णता सम्भव नहीं, किन्तु किसी व्यंजन को उसके प्रतीत होते अधपकेपन के बावज़ूद क्या हर जगह, हर किसी के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिये ?

मैं आपकी इस रचना को ’अधपकी’ क्यों कह रहा हूँ, यह आपको अब खूब स्पष्ट है. क्योंकि हमारी आपस में फोन पर बात हो चुकी है जब मैं मुम्बई में था.

शुभेच्छाएँ

Comment by ram shiromani pathak on June 2, 2013 at 12:16pm

आदरणीय भाई ब्रिजेश जी हार्दिक आभार ///सादर 

Comment by ram shiromani pathak on June 2, 2013 at 12:15pm

आदरणीय सौरभ जी ,यह रचना पहले ओ बी ओ पर पोस्ट किया था फिर फेसबुक पे ////नियम का पुर्णतः पालन किया था मैंने //रही बात शीघ्रता  की तो आगे से ध्यान दूंगा ///सादर 

Comment by बृजेश नीरज on June 2, 2013 at 9:37am

बहुत बधाई आपके इस प्रयास पर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 1, 2013 at 7:10pm

इस सामाजिक हो चुकी प्रस्तुति पर अब कुछ भी कहना उचित नहीं.

कुछ जगहों पर इसे वाह-वाह मिल चुकी है, तो शायद यह रचना वाह-वाह के ही लायक होगी.

शुभेच्छाएँ

Comment by ram shiromani pathak on May 31, 2013 at 4:54pm

हार्दिक आभार आदरणीया आशुतोष जी //सुधारने का प्रयास करता हूँ ///सादर

Comment by ram shiromani pathak on May 31, 2013 at 4:54pm

हार्दिक आभार आदरणीया कुन्ती जी ///सादर

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on May 31, 2013 at 4:50pm

अति सुन्दर राम जी किन्तु चतुर्थ चरण के एक बार पुनः देखिये प्रवाह भंग है......वैसे तो लगभग हर चरण में प्रवाह भंग है किन्तु इसमें कुछ अधिक खल रहा है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
2 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
18 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service