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नीम तले--वर्णिक छंद सवैया पर आधारित एक गीत

 

सखि,चैत्र गया अब ताप बढ़ा।

धरती चटकी सिर सूर्य चढ़ा।

ऋतु के सब  रंग हुए गहरे।

जल स्रोत घटे जन जीव डरे।

फिर भी मन में इक आस पले।

सखि पाँव धरें चल नीम तले।

 

इस मौसम में हर पेड़ झड़ा।

पर, मीत यही अपवाद खड़ा।

खिलता रहता फल फूल भरा।

लगता मन मोहक श्वेत हरा।

भर दोपहरी नित छाँव मिले।

सखि झूल झुलें चल नीम तले।

 

यह पेड़ बड़ा सुखकारक है।

यह पूजित है वरदायक है।

अति पावन प्राणहवा इसकी।

मन भावन शीतलता इसकी।

इक दीप धरें हर शाम ढले।

सखि, गीत गुनें चल नीम तले।

 

यह जान बड़े गुण हैं इसके।

नित सेवन पात करें इसके।

यह खूब पुरातन औषध है।

कड़वा रस शोणित-शोधक है।

हर गाँव शहर यह खूब फले।

हर रोग मिटे सखि नीम तले।

 

मौलिक व अप्रकाशित

 

कल्पना रामानी  

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Comment

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Comment by shalini kaushik on May 14, 2013 at 12:03am

बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .पूर्णतया सहमत बिल्कुल सही कहा है आपने .>

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 13, 2013 at 9:22pm

आ0 रामानी मैम जी,    आप जब भी लिखती हैं, बहुत अच्छा लिखती है।  वाह क्या बात है!  आपने सवैया के विधा पर अतिसुन्दर गुणकारी गीत लिखा है।   तहेदिल से हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,


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Comment by rajesh kumari on May 13, 2013 at 9:04pm

बहुत बढ़िया गीत के माध्यम से नीम के गुणों का सुन्दर बखान किया है आदरणीय कल्पना जी बहुत- बहुत बधाई आपको |

Comment by ram shiromani pathak on May 13, 2013 at 8:36pm

यह पेड़ बड़ा सुखकारक है।

यह पूजित है वरदायक है।

अति पावन प्राणहवा इसकी।

मन भावन शीतलता इसकी।

इक दीप धरें हर शाम ढले।

सखि, गीत गुनें चल नीम तले।

आदरणीया बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने//हार्दिक बधाई ///महिने की श्रेष्ठ रचना कि लिये बधाई. /सादर /

Comment by seema agrawal on May 13, 2013 at 7:38pm

यह जान बड़े गुण हैं इसके।

नित सेवन पात करें इसके।

यह खूब पुरातन औषध है।

कड़वा रस शोणित-शोधक है।

हर गाँव शहर यह खूब फले।

हर रोग मिटे सखि नीम तले।......बहुत सुन्दर गीत कल्पना जी बधाई 

Comment by shalini rastogi on May 13, 2013 at 7:19pm

फिर भी मन में इक आस पले।

सखि पाँव धरें चल नीम तले।... आदरणीय कल्पना जी ... बहुत बहुत भाया  मन को आपका यह कड़वा नीम !

Comment by Shyam Narain Verma on May 13, 2013 at 4:24pm
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 13, 2013 at 3:41pm

यह जान बड़े गुण हैं इसके।

नित सेवन पात करें इसके।

यह खूब पुरातन औषध है।

कड़वा रस शोणित-शोधक है।

हर गाँव शहर यह खूब फले।

हर रोग मिटे सखि नीम तले।

aadrniyaa kalpna jii सादर 

रचना सुन्दर भाव की 

नीम के गुण अनमोल 

बैठ छांव तरु के 

जिव बंधन खोल 

बधाई 

Comment by राजेश 'मृदु' on May 13, 2013 at 3:39pm

बढि़या गीत एवं सुंदर संदेश भी, हार्दिक बधाई कल्‍पनादी

Comment by Kavita Verma on May 13, 2013 at 2:06pm

neem ke vruksh ka sundar varnan...is mahine ki shreshth rachna ke liye badhaiyan...

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