For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कास मैं होता कुत्ता

कास मैं होता कुत्ता अयरा गैरा नहीं एलसिसियन ,
अयरे गैरे रोड पर मरे परे मिलते हैं ,
खाने के लिए रोटी नहीं मिलती ओ भी सुखी .
दूध मलाई मांस का टुकरा तो खाता,
अगर होता मैं एलसिसियन कुत्ता ,
चलने के लिए सायकल नहीं मिलती ओ भी टुट्टी,
कर के पिछले सिट पर आराम से जाता ,
अगर होता मैं एलसिसियन कुत्ता ,
सोने के लिए टाट नहीं मिलती ओ भी फट्टी,
मखमली गद्दे पर आराम से सोता ,
अगर होता मैं एलसिसियन कुत्ता ,
ये प्रभु इ गलती को फिर मत दुहराना ,
अगले जनम मोहे कुत्ता बनाना ,
अयरे गैरे रोड पर मरे परे मिलते हैं ,

Views: 444

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 11, 2010 at 10:37am
waah guru jee bahut badhiya.....aapki ye khasiyat hai ki aap likhte hain halke me lekin wo bhaari ho jata hai naa jane kaise....lekin bahut badhiay likha hai aapne.....yograj bhaiya ne bahut hi sahi likha hai ki...'' सिंग तां पहलां ही नहीं सी - पूंछ वी कटवा लई,
आदमी ने आदमी बनके गंवाया बहुत कुछ ! "
bahut bahut dhanyabaad guru jee humlogo ke beech ye share karne ke liye....

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 11, 2010 at 9:38am
Guru jee, bahut badhiya , aap halkey phulkey andaj mey bahut kuch kah jatey hai, badhiya likhey hai,
Yograj bhai ka diya gaya aek ref. line bhi kafi badhiya hai,
'' सिंग तां पहलां ही नहीं सी - पूंछ वी कटवा लई,
आदमी ने आदमी बनके गंवाया बहुत कुछ ! "
Thanks Guru jee

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 10, 2010 at 4:30pm
बहुत पीड़ा है गुरु जी आपकी पंक्तियों में, आप सही कह रहे हैं बंगले में पलने वाला कुत्ता भी ग़रीब के बच्चे से बेहतर है ! 80 के दशक में हमारे एक मित्र हुआ करते थे श्री मदन मदहोश, पंजाबी भाषा में बहुत आ'ला दर्जे कि शायरी किया करते थे ! आपकी कविता पढ़ कर बरबस उनका एक शेयर ज़ेहन में उभर आया :

'' सिंग तां पहलां ही नहीं सी - पूंछ वी कटवा लई,
आदमी ने आदमी बनके गंवाया बहुत कुछ ! "

अर्थात, इंसान के सींग तो पहले से ही नहीं थे वक़्त के साथ साथ उसकी पूंछ भी ग़ायब हो गयी ! इस लिए आदमी ने आदमी बन कर पाया कुछ भी नहीं बल्कि बहुत कुछ खोया ही है! आपकी कविता भी इंसान कम होती कद्र कि तरफ ही इशारा करती है ! इतनी गंभीर व्यंगय के लिए मेरी बधाई स्वीकार कीजिए !
Comment by Admin on May 10, 2010 at 4:08pm
ये प्रभु इ गलती को फिर मत दुहराना ,
अगले जनम मोहे कुत्ता बनाना

"आमीन" हा हा हा हा हा हा , बहुत बढ़िया व्यंगात्मक कविता है ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service