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जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें....प्रिय विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय जी............
जो इंसान गाना सुनने पर पाने बेटे को चार हाथ जमा देगा उसका पुत्र किसी दशा में ऐसा जवाब अपने बाप को नहीं दे सकता है ... यही मानव स्वभाव है ,,, बाकी आप जैसा उचित समझें
विन्धेश्वरी भाई आपने आगे जो अपने मन से जोड़ लिया है वह मुझे बिलकुल अस्वभाविक लगा ...
आप अपनी रचना से पूरी तरह से संतुष्ट है तो मेरी बात पर ध्यान न् दीजिए
शुभकामनाएं
tabhi to sandeh tha ..........ke ye katha aap kaise rach sakte hain ..........ye to us bachche dwaara sunaai gayi katha hai n ...........jise aapne prakaashit kar diyaa hai
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