For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राजू मोबाइल से गाना सुनने में मस्त था- "वो इक लड़की थी जिसे मैं प्यार करता था।"
तब तक उसके कानों में पिता जी की आवाज गूंजी- "सूरदास का पद नहीं सुन सकते थे क्या? या मीरा, तुलसी, कबीर का भजन सुनते?"
राजू डर गया और उसने गाना सुनना बंद कर दिया।
दो दिन बाद की बात है पिता जी अपने मोबाइल से गीत सुन रहे थे-"धूप में निकला न करो रूप की रानी, गोरा रंग काला न पड़ जाये।"
तब तक उनके कानों में आवाज गूँजी- "पिता जी! यह किसका पद या भजन है?"

मौलिक व अप्रकाशित
(संशोधित)

Views: 1286

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 12, 2013 at 8:22pm

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें....प्रिय विन्ध्येश्वरी त्रिपाठी विनय जी............

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on July 11, 2013 at 5:14pm
आदरणीय वीनस सर जी! मैं संतुष्ठ हूँ? कदापि नहीं। तभी मैंने आदरणीय सौरभ सर जी! रचना पर समीक्षा की प्रार्थना किया था। क्योंकि पोस्ट करने के बाद मुझे भी लगने लगा कि कहीं कुछ तो कमी है।आपका आदेश न मानूँ? अभी मैं अपने को इतना काबिल नहीं पाता हूँ। और शायदन न हीं................
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on July 11, 2013 at 5:03pm
आदरणीय गिरि सर जी! आपका सुझाव सादर अनुमन्य है। आपके इस महत्त्वपूर्ण सुझाव के लिये आपका हार्दिक आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on July 11, 2013 at 5:01pm
अरुण भाई आप भी निरश हुए। मुझे अपार कष्ट है। आज मैं क्यों नहीं किसी की अपेक्षा पर खरा उतरा?
लेकिन निकट लघुकथा में शायद निराश न करूँ।
Comment by वीनस केसरी on July 11, 2013 at 5:00pm

जो इंसान गाना सुनने पर पाने बेटे को चार हाथ जमा देगा उसका पुत्र किसी दशा में ऐसा जवाब अपने बाप को नहीं दे सकता है ... यही मानव स्वभाव है ,,,  बाकी आप जैसा उचित समझें

Comment by वीनस केसरी on July 11, 2013 at 4:58pm

विन्धेश्वरी भाई आपने आगे जो अपने मन से जोड़ लिया है वह मुझे बिलकुल अस्वभाविक लगा ...
आप अपनी रचना से पूरी तरह से संतुष्ट है तो मेरी बात पर ध्यान न् दीजिए
शुभकामनाएं

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on July 11, 2013 at 4:57pm
आदरणीय अग्रज भाई संदीप जी! आपकी अपेक्षा पर मैं खरा नहीं उतर पाया इसके लिये दुखी हूँ।क्षमाप्रार्थना।
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 11, 2013 at 4:53pm

tabhi to sandeh tha ..........ke ye katha aap kaise rach sakte hain ..........ye to us bachche dwaara sunaai gayi katha hai n ...........jise aapne prakaashit kar diyaa hai

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on July 11, 2013 at 4:53pm
आदरणीय बागी जी! आपने मुझ अबोध पर इतना विश्वास जताया हृदय गदगद है। किन्तु आपकी अपेक्षा पर मैं खरा नहीं उतर पाया इसके लिये दुखी हूँ।क्षमाप्रार्थना।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on July 11, 2013 at 4:50pm
आदरणीय सौरभ सर जी! वास्तव में मैं स्वयं रचना के कथ्य से असंतुष्ट था इसीलिये मैंने आपके पास संदेश- पत्र भेजकर रचना में आवश्यक संशोधन हेतु सुझाव मांगा था। और रचना तो 10 /जून को ही प्रकाशित हो गयी थी।
आपके मेरे इसे कृत्य से क्षोभ हुआ, शिष्य क्षमाप्रार्थी व दुखी है।
आपका सुझाव व आदेश शिरोधार्य है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
13 hours ago
Admin posted discussions
15 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
yesterday
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday
AMAN SINHA posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
Wednesday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service