For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुर्मिल सवैया..........!!!.जय जय बजरंगबली !!!


बजरंगबली सुख शांति मिले, जय राम कहे हरि प्रीति बढ़े।
मन प्रेम रसे अति धीर धरे, उर राम बसे नहि होत बड़े।।
हनुमान कहे मन मान सधे, हम बालक हैं गुन गान अड़े।
सुर रीति सजे नवनीत गहे, हम दीन बड़े अति हीन मढ़े।।1

तुम दीन दयाल सुभाय भली, दर आय सभी सुख पाय चली।
रघुवीर सदा सिर हाथ रखीं, हिय छाप धरीं तन राम कली।।
तुम भूत पिचास भगाय हॅसी, सिय मातु सुजान अशीष फली।
तुम दानव काल समेट सभी, तुम शेषहि वीर जगाय भली।।2

प्रभु जान अनाथ दया कहता, हम हैं अति पाप छमा सठता।
सुख लाय सदा दुख दूर हटा, शिख सरन पड़ा वरदान जता।।
प्रभु नाथ सनाथ रमा रमता, फलियाय सदा करता भरता।
प्रभु दास सदा हरि नाम जपा, अब आय सहाय बनो हरता।।

के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1426

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Yogi Saraswat on April 17, 2013 at 11:56am

तुम दीन दयाल सुभाय भली, दर आय सभी सुख पाय चली।
रघुवीर सदा सिर हाथ रखीं, हिय छाप धरीं तन राम कली।।
तुम भूत पिचास भगाय हॅसी, सिय मातु सुजान अशीष फली।
तुम दानव काल समेट सभी, तुम शेषहि वीर जगाय भली।।2

जय बजरंग बली की

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 16, 2013 at 10:15pm

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी, सादर नमन! मैंने कई बार पढ़ने के बाद ही पोस्ट किया है। गहे के स्थान पर गही रह गया था जिसे एडिट करके पुनः पोस्ट किया है। गेयता पर भी ध्यान दिया, फिर भी आपका सुझाव शिरोधार्य है। बहुत बहुत आभार। सादर,
प्रभु जान अनाथ दया कहता....प्रभु मुझे अनाथ समझें..मैं दया की भीख मांगता हूं।
हम हैं अति पाप छमा सठता।...मैं अतिपापी हूं...मेरी मूर्खता को क्षमा करना।
सुख लाय सदा दुख दूर हटा ....सदा प्रसन्नता देने साथ ही सभी दुःख दूर कीजिए।
शिख सरन पड़ा वरदान जता।।...शीश चरनों में झुका है कृपया आशीष दीजिए।
प्रभु नाथ सनाथ रमा रमता....आप स्वामी हैं आप मेरे मालिक बनिए मैं राम राम जपता हूं।
फलियाय सदा करता भरता।....आप सदा फल देने वाले हैं और सदा कर्ता भर्ता हैं।
प्रभु दास सदा हरि नाम जपा...प्रभु यह दास सदा ही आपका सुमिरन करता है।
अब आय सहाय बनो हरता।।....कृपया अब आकर मेरी मदद करके कष्ट हरिए।
भावार्थ आदर सहित।

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 16, 2013 at 8:43pm

आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर, दुर्मिल पर सुन्दर प्रयास हुआ है, अंतिम सवैया में एक जगह चुक हुई है. एक दो जगह मैं समझ भी नहीं पाया की आप क्या कहना चाह रहे हैं. आप सतत प्रयासरत है यह भी अच्छी बात है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
2 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service