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माँ तुझे प्रणाम

  माँ तुझे प्रणाम

 

धरती सी सहनशील

हिमालय सी शालीन

जीवन का द्वार

स्नेह की बौछार

बस दुलार ही दुलार

ममता का साकार रूप

प्रभात की पहली धूप

प्रारब्ध के पुण्य का फल

पहली साँस महसूस कराने वाली

अंगुल पकड़ चलाने वाली

पहली शिक्षा देने वाली

सबसे पहले आंसू पोंछने वाली

आत्मविश्वास जगाने वाली

जो सब है मेरे पास

उसी का दिया है अहसास

मेरी ख़ुशी मे मुझसे ज्यादा ख़ुश

मेरे गम में मुझसे ज्यादा दुखी

हिम्मत और विश्वास दिलाने वाली

विचारों में सुगंध बसाने वाली  

अँधेरी राह में उजाला दिखाने वाली

नौ महीने मेरे लिए कष्टों को झेल कर

इस दुनिया में मुझे लाने वाली

माँ तुझे प्रणाम , माँ तुझे प्रणाम

तेरी ममता का स्पर्श

है आज भी मुझमें समाया

तुझे पाने के बाद ही

मैंने सब कुछ पाया

 

विजयाश्री

१५ .०४ .२०१३  

 

(मौलिक और अप्रकाशित )

  

 

 

Views: 772

Comment

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Comment by vijayashree on April 16, 2013 at 11:50am

सादर धन्यवाद् शालिनी कौशिकजी

 

Comment by vijayashree on April 16, 2013 at 11:49am

सादर आभार अशोक कुमारजी रकताले

Comment by vijayashree on April 16, 2013 at 11:47am

सादर धन्यवाद्  डॉ. प्राची


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 16, 2013 at 10:43am

माँ के निर्बाध निश्छल निर्मल प्रेम को समर्पित शुभ्र रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया विजयाश्री जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 16, 2013 at 7:43am

स्नेह की बौछार

बस दुलार ही दुलार

ममता का साकार रूप

प्रभात की पहली धूप..............वाह! अति उत्तम भाव.

माँ के अगाध प्यार को समर्पित सुन्दर रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया विजया श्री जी.

Comment by shalini kaushik on April 16, 2013 at 1:37am

.भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू  गयी आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें

Comment by coontee mukerji on April 15, 2013 at 10:34pm

विजयश्री जी, अति सुंन्दर.आप बधाई स्वीकार करें

सादर ,

कुंती

Comment by vijay nikore on April 15, 2013 at 9:23pm

आदरणीया विजयाश्री जी:

 

माँ के प्रति इन सुन्दर मार्मिक भावों को

इस खूबसूरती से अभिव्यक्त करने के लिए साधुवाद।

 

ऐसी ही और लिखते रहिए। शुभकामनाएँ।

 

सादर,

विजय निकोर

 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 15, 2013 at 8:51pm

माँ हेतु जितना भी लिखा जाय कम ही है, अच्छी रचना पर बधाई आदरणीया विजया श्री जी । 

कृपया ध्यान दे...

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