For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भविष्य की कल्पना....हास्य व व्यंग

मैने पूछा-
बाबा
आप किस प्रांत से
आए हो
ये शक्तीमान जैसी
ड्रेस
किस दर्जी से
सिलवाये हो

उत्तर मिला-

उम्र से
दो सौ सत्तासी हूँ
नाम न्युटन
मंगल ग्रह का
वासी हूँ

मैने कहा- बाबा
अब कुछ परदा
हटा दीजिए
अपने ग्रह के
बारे मे
कुछ बता दीजिए

उन्होने कहा- बेटा

यहाँ और वहाँ मे
काफी अंतर है
यहाँ टोना टटका
तो
वहाँ छू मन्तर है

प्लेन की स्पीड से
वहाँ कार चलती है
यहाँ के
शेयर मार्केट
की तरह
वहाँ
सरकार बदलती है

यहाँ तो मिठाइयाँ
फिर भी सस्ते है
वहाँ तो
सूंघने के
पैसे लगते हैं

ढाबे पर
चाय की जगह
वाईन मिलती है
वहाँ
एल.पी.जी की जगह
आँक्सीजन की
लाईन लगती है

दिन भर मे
एक किलो
दवाइयाँ
चबाया जाता है
साथ मे
रोटी का एक टेबलेट
कैपस्यूल मे
दाल खाया जाता है

पेट्रोल घर के
नलकुम्पो मे आता है
पानी
मेडिकल की
दुकान पर
छोटे छोटे
ड्राँपों मे
पाया जाता है

लोगों मे
समय
इतना कम होता है
क्रिकेट
ज्यादा से ज्यादा
एक ओवर का होता है

वहाँ पर कमप्यूटर
खुलने को
तरसते हैं
क्योकि
अखबार जावा
तो मेग्जीन
C मे छपते हैं

वहाँ
मानव शरीर
के अंगो की
दुकान खुली है
खुद मुझे ही
हार्ट बदलवाने पर
एक किडनी
फ्री मिली है.

मौलिक अप्रकाशित

Views: 1000

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by manoj shukla on May 3, 2013 at 5:36pm
आदर्णीय कुशवाहा जी ...सादर आभार
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 3, 2013 at 5:03pm

आनंद आगया 

बधाई 

सादर 

Comment by manoj shukla on April 17, 2013 at 10:38pm
आदर्णीया कुमारी जी....... आपसे मिले प्रशंशा रूपी आशिर्वाद के लिए आपका हार्दिक आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 17, 2013 at 7:34pm

बहुत बढ़िया मजेदार रचना खूब हास्य रसास्वादन किया हार्दिक बधाई मनोज जी | फिर जनम लेंगे हम |

Comment by manoj shukla on April 17, 2013 at 6:03pm
आदर्णीया कविता जी......सादर आभार
Comment by Kavita Verma on April 17, 2013 at 2:19pm

manoj ji avsatavik sapne ke peechhe bhagne par sundar vyang kiya hai aapne ..badhai sweekaren...

Comment by manoj shukla on April 17, 2013 at 1:22pm
आदर्णीय योगी जी ..... स्नेह तथा प्रशंशा के लिए आपका सादर आभार
Comment by Yogi Saraswat on April 17, 2013 at 11:44am

हर छंद सार्थक और मुस्कराती हुई !
दिन भर मे
एक किलो
दवाइयाँ
चबाया जाता है
साथ मे
रोटी का एक टेबलेट
कैपस्यूल मे
दाल खाया जाता है
थोड़े दिन रुक जाइये , ये सब यहाँ भी होने लगेगा ! बड़ी मस्त मस्त सी रचना , मज़ा आया शुक्ला जी

Comment by manoj shukla on April 16, 2013 at 9:32pm
आपका सादर आभार आदर्णीया डा.प्राची जी....प्रशंशा हेतु हार्दिक आभार

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 16, 2013 at 8:01pm

भविष्य की बड़ी मजेदार कल्पनाएँ करते हुए हास्य व्यंग लिखा है आ० मनोज शुक्ला जी 

हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service