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चक्र घंटा शूल मूसल, धर धनुष अरु बान,

शंख साजे हाथ गौरी, शीत चन्द्र समान |

 

शुंभ दलना मात शारद, सृष्टि जननी जान,

है नमन माता चरण में, मात दें वरदान ||

 

कर कमल अरु अक्षमाला, विश्व ध्यावे मात,   

विष्णु पत्नी, मात कमला, गुण फिरूँ मैं गात |   

 

हरिप्रिये माता दयानिधि, मैं मनुज की जात,

है नमन माँ श्री चरण रज, ध्यात हूँ दिन रात ||

 

मौलिक/अप्रकाशित.

(संशोधित)

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Comment by बृजेश नीरज on April 12, 2013 at 12:53pm

नवरात के पावन अवसर पर इतनी सुन्दर माता की वन्दना! माता रानी हम सब पर प्रसन्न होवें।
आपको नवसंवत्सर और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 12, 2013 at 12:32pm

आ0 अशोक कुमार रक्ताले  जी,   अति प्यारी छवि और उतने ही सुन्दर भाव...मां की कृपा हम सभी पर बनी रहे। अतिसुन्दर ।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 12, 2013 at 9:14am

दे शारदे वरदान -है नमन माँ श्री चरण भजता उझे दें रात -

माँ शारदे माँ दुर्गा स्वरूपा को मेरा है बारम्बार नमन, 

बहुत सुन्दर माँ दुर्गे भवानी को अर्पण करते भावों में प्रार्थना-

भजन रचना के लिए अशोक जी,  हार्दिक बधाई,नमन |

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