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जिन्दगी तू इतनी आसान नही है

 

जिन्दगी तू इतनी आसान नही है

 

जिन्दगी तू इतनी आसान नही है , जितनी की लोगो से तेरी चर्चा सुनी है ।

तू बहलाती फुसलाती तू लुभाती है, बेवफा ! है तू सब की पर किसी की नही है ।

तू पल मे तोला कभी पल मे मासा है, कही धूल जँमी की कही सोने पे सुहागा है ।

पर है ये हकीकत तेरी की तू,  दुख दर्द के ताने बानो मे बुनी है ।

जिन्दगी तू इतनी आसान नही है , जितनी की लोगो से तेरी चर्चा सुनी है ।।

 

तू कही जेठ की धूप है, कही नीम  की ठंडी छाव है ।

कही भाग दौड है शहर की, कही सकून भरा एक गाँव है ।

कही उडनखाटोले मे उडती, कही खेतो की मिट्टी से सनी है ।

जिन्दगी तू इतनी आसान नही है , जितनी की लोगो से तेरी चर्चा सुनी है ।।

 

कही तडफती ममता माँ की , कही भूख की किलकारी है ।

कही झुलता खाली झुला , कही त्याग माँ की मजबूरी है ।

कही महलो मे तू राज करती , कही कचरे मे जनी है । 

जिन्दगी तू इतनी आसान नही है , जितनी की लोगो से तेरी चर्चा सुनी है ।।

 

कही रचाती हाथो मे मेहँदी, कही हाथो की फूटती चुडी है ।

कभी दहेज की बेदी मे जलती, कही बारात को तकती दहरी है ।

कही अरमानो की सेज पे बैठी ,कही हर रात की दुल्हन बनी है ।

जिन्दगी तू इतनी आसान नही है , जितनी की लोगो से तेरी चर्चा सुनी है ।।

 

कही मुहब्बत का आगाज है तू, कही पर नफरत की आग है ।

कही प्यार की मंजिल है तू , कही टुटता विश्बास है ।

कही बगावत तू प्यार की खातिर , कही प्यार की ढाल बनी है।

जिन्दगी तू इतनी आसान नही है , जितनी की लोगो से तेरी चर्चा सुनी है ।।

 

कही पडी है लावारिश सी, कही एक वारिस की चाह है ।

कही जुल्म सितम है वारिस का, कही बूढी हड्डीयो की आह है ।

कही दर्द है अपनो से, कही  तू अपनो की कमी है

जिन्दगी तू इतनी आसान नही है , जितनी की लोगो से तेरी चर्चा सुनी है ।। 

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment by Ashok Kumar Raktale on April 10, 2013 at 11:11pm

जिन्दगी तू इतनी आसान नही है , जितनी की लोगो से तेरी चर्चा सुनी है ।।

सच है जींदगी सबकी अपनी होती है.किसी के लिए सुख ही सुख तो किसी के लिए दुखो का भंडार.सुन्दर रचना आदरणीय बसंत नेमा जी बधाई स्वीकारें.

Comment by बसंत नेमा on April 10, 2013 at 11:45am

आ. प्राची दीदी ,कुंती जी , केबल जी .... रचना आप को पसन्द आई उसके लिये बहुत आभार .. 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 9, 2013 at 9:31pm

आ0बसन्त नेमा जी, वाह भाई जी, वास्तव में जिन्दगी इतनी आसान नहीं...अतिसुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 9, 2013 at 9:01pm

ज़िंदगी की दोरंगी तस्वीर की सुन्दर प्रस्तुति आ० बसंत नेमा जी 

Comment by coontee mukerji on April 9, 2013 at 10:44am

नेमा जी , सच में जिंदगी इतनी आसान कहाँ है . कोई रोता कोई हँसता जिंदगी के अपने फ़लसफ़े है .आपको बहुत बहुत बधाई.

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