For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कमला बाई को सुबह सुबह दरवाजे पर बुरी हालत में  देख रीना का माथा ठनका , एक्सीडेंट के कारण हास्पिटल में  भर्ती  हुई कल ही तो एक हफ्ते बाद वापस  लौटी है ।सर पर पट्टी गले की हँसली  टूटने पर पीछे हाथ कर बाँधी हुई पूरी छाती पर पट्टी ,आँखे सूजी हुई देखते ही फफक- फफक कर रो पड़ी कमला रीना के बहुत बार पूछने पर बताया "मेमसाब मेरी पट्टी देखकर मेरे  दो साल के बच्चे ने जो एक हफ्ते से तरस रहा था दूध को मुंह  भी नहीं लगाया शायद मेरे दर्द को महसूस किया पर वो इसके हरामी बाप ने कल !!बीच में फिर फफक कर रो पड़ी कमला  कई बार पूछने पर बोली"अपने तीन बेवड़े  दोस्तों के साथ रात  भर पीता रहा बोला आज तो बिना सींघो की गाय है तुम भी मजे !!!!और मेम  साब रात भर !! इतना कहते कहते कमला की आँखों में अंगारे दहक़  उठे,सुनकर रीना सन्न रह गई अवाक निशब्द !अब क्या करना है कमला ?रीना ने पूछा ,कमला ने अपनी हिचकियाँ   रोकते हुए कहा मेमसाब कुछ पैसे दे दीजिये चूहे मारने की दवाई लानी है सुनते ही रीना अन्दर तक सिहर उठी बोली नहीं कमला क्या करना चाहती हो तुम्हारा दो साल का बेटा ,नहीं मेमसाब! कमला  बीच में ही बात काट  के बोली  कमला इतनी कमजोर भी नहीं, वो तो घर में जहरीले चूहे ज्यादा हो गए हैं कल तो मेरी आत्मा तक काट डाली , और दो दिन बाद अख़बार में खबर छपी की तीन चार लोग जहरीली शराब पीकर अस्पताल में मर गए ।    

Views: 874

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 3, 2013 at 9:02pm

विजय मिश्र जी ये जहरीले चूहे सब जगह दिखाई देते हैं ऐसे मानव की  विकृत मानसिकता क्षमा के योग्य नहीं होती |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 3, 2013 at 8:59pm

राजेश कुमार झा जी आप सही कहते हैं जिन लोगों को पीने की ही तमीज नहीं एडिक्ट होकर पत्नी को ही टारगेट बनाते हैं वो चूहे ही हैं दम हो तो किसी मर्द से  लेकर दिखाएँ |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 3, 2013 at 8:42pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी,

सत्य घटना पर आधारित इस लघुकथा में एक महिला तबके की नारकीय ज़िंदगी, बेबसी, पीड़ा और फिर एक दमित हृदय के कटुतम और हिम्मत भरे निर्णय  को बहुत सार्थक अभिव्यक्ति मिली है.. 

उस असल पीड़ा को सोच कर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं, ऐसे जहरीले चूहों को इसी तरह से खत्म किया जाना चाहिए... कोई और उपाय ही कहाँ बचता है. औरत के इस हौसले पर... क्या कहूँ. एक लक्ष्मी यूं ही चंडिका रूप थोड़े ही धर लेती है...

अंतरात्मा को कचोटती इस लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया. सादर.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 3, 2013 at 8:08pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी,  कहानी पढ़कर मैं तो स्तब्ध रह गया। बहुत ही भावुक, दर्द तथा इक नई सीख, वाह-वाह क्या बात है। अतिसुन्दर बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by बृजेश नीरज on April 3, 2013 at 7:09pm

पुरूष की भोगवादी मनोवृत्ति और उसके प्रति नारी के विद्रोह को बहुत सुन्दर तरीके से आपने उकेरा। मेरी बधाई स्वीकारें।

Comment by विजय मिश्र on April 3, 2013 at 6:30pm

 घर में जहरीले चूहे ज्यादा हो गए हैं कल तो मेरी आत्मा तक काट डाली ," -- सबकुछ कह  देता है . आधुनिक गाथा और दैनंदिन की व्यथा . आत्मघाती होता जारहा समाज .

Comment by राजेश 'मृदु' on April 3, 2013 at 12:57pm

नशा का सर्वाधिक कुफल घरवाली को ही भुगतना पड़ता है ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 3, 2013 at 11:37am

आदरणीय विजय निकोर जी अगर अपने आस पास देखें तो रात  के अँधेरे में ऐसी कहानियाँ  रोज जन्म लेती हैं आपने इस लघु कथा का अनुमोदन करके मेरी लेखनी का मान बढाया है दिल से आभारी हूँ |

Comment by vijay nikore on April 3, 2013 at 11:18am

राज जी,

 

कमला ने ठीक ही किया।

ऐसी लघु कथा हर गांव, हर शहर की पत्रिकाओं में

छपनी चाहिए, ताकि लोगों को संदेश मिले।

 

सादर,

विजय निकोर

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
15 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service