For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

याद है ....
पहले की दिन कितने
बड़े होते थे
अम्मा तीन बार जगाती थी..
तब कहीं ७(सात) बजा करते थे..
नाश्ता करके ..
उछलते हुए स्कूल जाना
रास्ते में ठेले से केले खींचकर खान
आधी छुट्टी में स्कूल के बाहर
खड़े ठेले से चाट खाना ...
छुट्टी होते ही दोड़ते हुए
घर की तरफ भागना ...
कितना मज़ा था ...
उन दिनों का ..
अम्मा का दौड़ा .. दौड़ा कर खाना खिलाना ..
और समय होता था बस दोपहर का २(दो)
वाकई पहले के दिन कितने
बड़े होते थे ...
थक कर जब अम्मा की गोद में
सोया करते थे .. .
कब सुबह हुई ..
कब शाम हुई ...
पता ही नहीं चलता था..
पर आज न तो अम्मा रही ..
न वो गोद रही..
न वो प्यार रहा..
याद है..
पहले की दिन ....कितने
लम्बे होते थे.... ..

Views: 351

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by coontee mukerji on March 31, 2013 at 1:04am

बहुत सुनदर आमोद जी मैं तो जाने कितने साल पीछे चली गयी.बेहद सफल कविता. बधाई

Comment by vijay nikore on March 30, 2013 at 4:01pm

आमोद जी,

 

हम आयु में कितने ही बढ़ जाएँ, माँ का साया "माँ का साया" होता है।

माँ के प्रति इस मार्मिक अभिव्यक्ति के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 30, 2013 at 2:41pm

बचपन की यादें, उछलकूद, बेफिक्री, माँ का साया.... इन सुन्दर भावों से सजी अभिव्यक्ति के लिए बधाई आमोद जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 30, 2013 at 12:30pm

भाव-प्रधान अभिव्यक्ति हेतु बधाई .. इसके साथ ही निवेदन है कि आप अपनी प्रस्तुतियों के प्रति गंभीर रहें.

शुभेच्छाएँ.. .

Comment by Amod Kumar Srivastava on March 30, 2013 at 12:12pm

धन्यवाद् लक्ष्मण जी .. आभार  ...

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 30, 2013 at 12:07pm

बचपन की सुन्दर यादे जिन्दगी का सुनहरा द्रश्य हमेशा ही सुखद अनुभूति देता है | यह सुखद अनुभूति कराने के लिए धन्यवाद 

और अच्छी रचना के लिए बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service