For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फाग अनुरागी बना, जगत बिरागी मन

Ecstacy                ओबीओ के समस्त सदस्यों को होली की मंगलमय शुभ कामनाएं

फाग अनुरागी बना, जगत बिरागी मन।

       सुन्दर बसंती छटा, लगी मन मोहनी।।      

लाठी बरसाने खायें, निज बड़े भाग मानें।

जीवन एकाकी लगे, भायी मृग लोचनी।।

  विजया का पान कर, माया का बखान कर।

मतवारे नयनों पे, निहाल भयी बोधनी।।

सत्य जलते ही होली, त्रिविध संताप जरे।

फाग के रंगीले दाग, सजे मन सोहनी।।

 

                                                                    -सत्यनारायण सिंह

                                                                  "मौलिक व अप्रकाशित"

            

Views: 525

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on March 29, 2013 at 3:24pm

 

परम आदरणीय सौरभजी, सादर, होली एवं नव वर्ष हेतु मंगलमय शुभ कामनाओं के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,  यह वासंतिक पर्व होली एवं आगंतुक नव वर्ष आपको, आपके परिवार को तथा समस्त ओबिओ परिवार को मंगलमय हो इसी शुभ कामनाओं सहित मैं आपका हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ.   

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 29, 2013 at 2:17pm

होली की शुभकामनाएँ और नव वर्ष की मंगल कामनाएँ, सत्यनारायण भाईजी.

Comment by Satyanarayan Singh on March 29, 2013 at 11:06am

आदरणीय लडिवालाजी, सादर आभार, धन्यवाद

Comment by Satyanarayan Singh on March 29, 2013 at 11:04am

आदरणीय रक्तालेजी, सादर आभार ,

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 28, 2013 at 8:45am

सुन्दर अभिव्यक्ति की लिए बधाई श्री सत्यनारायण सिंह जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 27, 2013 at 9:27pm

सुन्दर रचना आदरणीय सत्यनारायण जी सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by Satyanarayan Singh on March 27, 2013 at 4:46pm

आदरणीय केवल प्रसाद जी,  सादर आभार  आपको भी हार्दिक बधाई ! एवं  सपरिवार प्रेम-सद्भावना के प्रतीक होली के पावन त्योहार पर बहुत बहुत शुभकामनाएं एवं धन्यवाद।

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 27, 2013 at 9:18am

आदरणीय, श्री सत्यनारायण सिहं जी, ‘‘....फाग अनुरागी बनाए जगत बिरागी मन।
सुन्दर बसंती छटाए लगी मन मोहनी।।‘‘ अतिसुन्दर भाव, इस फाग से महादेव शिव जी भी अछूते न रहे और विरागी भी रागी हो गये...वाह वाह क्या बात है! आपको हार्दिक बधाई! आपको सपरिवार प्रेम-सद्भावना के प्रतीक होली के पावन त्योहार पर बहुत बहुत शुभकामनाएं एवं धन्यवाद।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
18 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service