घर सूना कर बेटियाँ ,जाती हैं ससुराल|
दूजे घर की बेटियाँ ,कर देती खुशहाल||
बेटा !बेटी मार मत ,बेटी है अनमोल|
बेटी से बेटे मिलें ,बेटा आँखें खोल||
घर की रौनक बेटियाँ,दो-दो घर की लाज|
उनको ही आहत करे ,कैसा कुटिल समाज||
खाली कमरा रह गया,अब बिटिया के बाद|
चौखट भी है सीलती ,जब-जब आये याद||
बेटों को सब मानते ,करते उन्नत भाल|
बेटी को अवसर मिलें, छूले गगन विशाल||
बेटी को काँटा समझ ,मत करना तू भूल|
बेटी भी बनकर खिले, उस डाली का फूल||
घटती जाएं बेटियाँ , बढ़ते जाएं लाल|
बिगड़ेगा जो संतुलन,बदतर होगा हाल||
पीढ़ी बेटों से चले , बेटों से ही वंश|
नहीँ रहेंगी बेटियाँ ,कहाँ रहेगा अंश||
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Comment
श्री राम जी कुछ हद तक ,सबको सद्बुद्धि सम्मति दे भगवान ,हार्दिक आभार |
बहुत सुन्दर रचना है ....लेकिन बेटियों की दुश्मन भी बेटियाँ ही होती है ....
प्रिय संदीप जी दोहे उनका भाव आपको पसंद आया बहुत-बहुत हार्दिक आभार आपका|
बहुत सुन्दर दोहे आदरणीया राजेश कुमारी जी ................प्रणाम सहित सादर बधाई आपको ..............वाह बहुत सुन्दर
आदरणीय नादिर खान जी दोहे उनका भाव आपको पसंद आया हार्दिक आभार आपका|
बेटा !बेटी मार मत ,बेटी है अनमोल|
बेटी से बेटे मिलें ,बेटा आँखें खोल||
पीढ़ी बेटों से चले , बेटों से ही वंश|
नहीँ रहेंगी बेटियाँ ,कहाँ रहेगा अंश||
राजेश कुमारी जी अमनोल दोहे बहुत बहुत बधाई...
आदरणीय सौरभ जी दोहे और उनके भावों की संस्तुति हेतु कोटि-कोटि आभार,सच में आज के वक्त में अपने आस् पास ही ऎसे उदाहरण देखने को मिल जाते हैं जहाँ बालिकाओं की स्थिति बहुत दयनीय है धाद संस्था में जो हम लोगों ने एक बालिकाओं के लिए प्रयोग शाला रखी उसमें विषय बालिका की घर में स्थिति पर कुछ गरीब बालिकाओं के ऎसे आलेख और कविता आई की जिनको पढ़ कर आंखों में आँसू आ गए और ऐसा नही है की केवल गरीब घरों में ही या कम पढ़ें लिखे लोगों में ही ये है बल्कि और घरों में भी लड़कों जैसा मान सम्मान नही दिया जाता बेटी को बस इन्हीं प्रश्नों के उत्तर खोजने की चाह में ये दोहे रचे हैं बस ओबीओ की कृपा से आप सब विद्वजनो के मार्ग दर्शन में छन्दों पर प्रयास जारी है|आपके परामर्श सराहनीय हैं|
प्रिय प्राची जी आप सही कह रही हैं बेटी के महत्व को दर्शाया है इन दोहों के माध्यम से ,दुःख तो इस बात का होता है कि जिस बात को लोगों को दिल से समझना चाहिए उनको जागरूक करने के लिए हमे ही बीड़ा उठाना पड़ रहा है क्यों नही उनके दिल में बेटी के लिए बेटों के बराबर प्यार जागता क्यों नही लड़की अपना लड़की होने पर गर्व करती यही सब मन कि उथल पुथल ने इन दोहो को लिखने के लिए प्रेरित किया.
आशीष नैथानी सलिल जी हार्दिक आभार आपका आपको दोहे रुचिकर लगे |
राम शिरोमणि जी हार्दिक आभार आपका
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