For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घर सूना कर बेटियाँ ,जाती हैं ससुराल| 
दूजे घर की बेटियाँ ,कर देती खुशहाल||

बेटा !बेटी मार मत ,बेटी है अनमोल|

बेटी से बेटे मिलें  ,बेटा आँखें खोल||

घर की रौनक बेटियाँ,दो-दो घर की लाज|

उनको ही आहत करे ,कैसा कुटिल समाज||

 

खाली कमरा रह गया,अब बिटिया के बाद|

चौखट भी है सीलती ,जब-जब आये याद||

बेटों को सब मानते ,करते उन्नत  भाल|

बेटी को अवसर मिलें, छूले गगन विशाल||

बेटी को काँटा समझ ,मत करना तू भूल|

बेटी भी बनकर खिले, उस डाली का फूल||

घटती जाएं  बेटियाँ , बढ़ते जाएं लाल|

बिगड़ेगा जो संतुलन,बदतर होगा हाल||

पीढ़ी बेटों से चले , बेटों से ही वंश|

नहीँ रहेंगी बेटियाँ ,कहाँ रहेगा अंश|| 

************************************     

 

 

Views: 1088

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 24, 2013 at 9:07am

श्री राम जी कुछ हद तक ,सबको सद्बुद्धि सम्मति  दे भगवान ,हार्दिक आभार |

Comment by श्रीराम on February 24, 2013 at 8:04am

बहुत सुन्दर रचना है ....लेकिन बेटियों की दुश्मन भी बेटियाँ ही होती है ....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 23, 2013 at 11:51pm

  प्रिय संदीप जी दोहे उनका भाव आपको पसंद आया बहुत-बहुत हार्दिक आभार आपका| 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 23, 2013 at 11:46pm

बहुत सुन्दर दोहे आदरणीया राजेश कुमारी जी ................प्रणाम सहित सादर बधाई आपको ..............वाह बहुत सुन्दर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 23, 2013 at 11:40pm

आदरणीय नादिर खान जी दोहे उनका भाव आपको पसंद आया हार्दिक आभार आपका|

Comment by नादिर ख़ान on February 23, 2013 at 11:08pm

बेटा !बेटी मार मत ,बेटी है अनमोल|
बेटी से बेटे मिलें ,बेटा आँखें खोल||

पीढ़ी बेटों से चले , बेटों से ही वंश|
नहीँ रहेंगी बेटियाँ ,कहाँ रहेगा अंश||

  राजेश कुमारी जी अमनोल दोहे बहुत बहुत बधाई...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 23, 2013 at 10:59pm

आदरणीय सौरभ जी दोहे और उनके भावों की संस्तुति हेतु कोटि-कोटि आभार,सच में आज के वक्त में अपने आस् पास ही ऎसे उदाहरण देखने को मिल जाते हैं जहाँ बालिकाओं की स्थिति बहुत दयनीय है धाद संस्था में  जो हम लोगों ने एक बालिकाओं के लिए प्रयोग शाला रखी उसमें विषय बालिका की घर में स्थिति पर कुछ गरीब बालिकाओं के ऎसे आलेख और कविता आई की जिनको पढ़ कर आंखों में आँसू आ गए और ऐसा नही है की केवल गरीब घरों में ही या कम पढ़ें लिखे लोगों में ही ये है बल्कि और घरों में भी लड़कों जैसा मान सम्मान नही दिया जाता बेटी को बस इन्हीं प्रश्नों के उत्तर खोजने की चाह में ये दोहे रचे हैं बस ओबीओ की कृपा से आप सब विद्वजनो के मार्ग दर्शन में छन्दों पर प्रयास जारी है|आपके परामर्श सराहनीय हैं|      


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 23, 2013 at 10:41pm

प्रिय प्राची जी आप सही कह रही हैं बेटी के महत्व को दर्शाया है इन दोहों के माध्यम से ,दुःख तो इस बात का होता है कि जिस बात को लोगों को दिल से समझना चाहिए उनको जागरूक करने के लिए हमे ही बीड़ा उठाना पड़ रहा है क्यों नही उनके दिल में बेटी के लिए बेटों के बराबर प्यार जागता क्यों नही लड़की अपना लड़की होने पर गर्व करती यही सब मन कि उथल पुथल ने इन दोहो को लिखने के लिए प्रेरित किया.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 23, 2013 at 10:34pm

आशीष नैथानी  सलिल  जी हार्दिक आभार आपका आपको दोहे रुचिकर लगे |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 23, 2013 at 10:33pm

राम शिरोमणि जी हार्दिक आभार आपका 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
12 hours ago
Admin posted discussions
14 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
yesterday
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday
AMAN SINHA posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
Wednesday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service