For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा

निदान

                                    गांव के बाहर मन्दिर में जोर-जोर से शंख और घड़ियाल बज रहे थे। एक सप्ताह से वहां पूजन चल रहा था। अब आरती हो रही थी। पण्डित जी ने आश्वस्त किया था कि नदी के कगार टूटने से गांव पर जो बाढ़ का खतरा मंडरा रहा था वह इस पूजन से टल जाएगा।

                                    गांव वालों के पास भी कोई रास्ता नहीं था पण्डितजी की बात मानने के सिवा। जिस बात की गारण्टी सरकार नहीं दे सकती उसकी गारण्टी यदि पण्डित दे रहा हो तो बात मानने में क्या बुराई। कगार की मरम्मत करने की मेहनत से तो यह जिम्मेदारी भगवान पर छोड़ना अच्छा। उसी ने समस्या दी है तो निदान भी वही करेगा।

                                                                                                      - बृजेश नीरज

Views: 536

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on February 23, 2013 at 7:08pm

आपका आशीर्वाद पाकर अनुगृहीत हुआ।
सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 23, 2013 at 6:12pm

सरकारी संवेदनहीनता पर सामाजिक अकर्मण्यता... . खूब इशारा किया है आपने, बृजेशभाईजी. यह इशारा झन्नाटेदार है जो इस तरह के तेवर की कथाओं का सम्यक अस्त्र है.

आपकी प्रस्तुतियों की प्रतीक्षा रहेगी.

सादर अभिनन्दन.

Comment by बृजेश नीरज on February 23, 2013 at 4:52pm

आपका आभार! आपकी हौसला अफज़ाई से लिखने का साहस बढ़ा!

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 23, 2013 at 8:21am

अंधविश्वास के चरम को दर्शाती सुन्दर लघुकथा. बधाई भाई बृजेश कुमार सिंह जी. सादर.

Comment by बृजेश नीरज on February 22, 2013 at 6:18pm

वन्दनाजी, आपका आभार!

Comment by Vindu Babu on February 21, 2013 at 11:49pm
बिल्कुल सही श्रीमान!
यही यथार्थ है,लोग कर्म पथ से दूर भागते हैं और ईश्वर के विश्वास के साथ खिलवाड़ करते हैं.
सादर शुभकामनाएं...
Comment by वेदिका on February 21, 2013 at 10:47pm

और मै  अपनी क्या कहूँ ... मैंने भी आजतक केवल कुछ एक दर्जन के ही लगभग लेख लिखे है । :)))

सादर!

Comment by बृजेश नीरज on February 21, 2013 at 10:36pm

वेदिका जी! आपका आभार! आप लोगों की टिप्पणियां इसलिए मेरे लिए और भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह लघुकथा लिखने का मेरा पहला प्रयास था।
सादर!

Comment by वेदिका on February 21, 2013 at 10:04pm

बहुत करारा जोरदार लेख  आदरणीय बृजेश कुमार जी !

यही लोग इस उक्ति को चरितार्थ करते है की " जो भाग्य में लिखा है व्ही होगा, कर्म भाग्य को नही बदल सकते "।

भाग्य पर छोड़ क्र इंसान कर्म करने की मेहनत  से बच  जाता  है।

शुभकामनायें 

सादर  

Comment by बृजेश नीरज on February 21, 2013 at 10:27am

लक्ष्मण जी, सही कहा आपने।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service