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विश्वास
ढके शब्दों में नंगे हमाम पर लिखेंगे ,
समय थम कर पढ़ेगा इतना प्राणवान लिखेंगे,
हमने जब ठाना तो तस्वीर का रुख बदलकर माना,
हम सोच का एक स्रोत है, जब भी निकले अपनी जगह बना के माना
कुछ इतना खास कर गुजरेंगे ,
जब सचे-सच्चे अहसास शब्दों में ढालेंगे ,
हम वो जड़ है, जब चाहा तभी जड़ हुए ,जब चाहा जड़ कर दिया
बंद शब्दों में खुले आसमान पर लिखेंगे.
अलका तिवारी

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Comment by Rash Bihari Ravi on February 28, 2011 at 2:27pm
khubsurat
Comment by alka tiwari on December 12, 2010 at 3:02pm

aap jasee mahan kavitri se prashansha pana apane aap me ek uplabdhi hai. Dhanyvaad.

Comment by asha pandey ojha on December 8, 2010 at 11:42pm
waah Alka ji bahut khoob .. kabile tareef rachna hai waah
Comment by alka tiwari on November 6, 2010 at 1:28pm
dhanyvaad, ganesh ji.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 5, 2010 at 8:09pm
ढके शब्दों में नंगे हमाम पर लिखेंगे ,
बंद शब्दों में खुले आसमान पर लिखेंगे.

क्या बात है अलका दीदी, बड़ी गहरी बात कही है आप ने, सुंदर काव्य कृति, दीपावली की हार्दिक शुभकामना |

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