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"अधखुली दुनियां "

आजकल हास्य के लिए ,
अश्लीलता का सहारा लिया जाता है !
जनता खूब हंसती भी है ,
उन्हें भी आनंद आता है !!

जब प्रतिदिन नवीन आविष्कार हो रहे ,
अश्लीलता और नग्नता पर !
आत्मा कह रही मेरी ,
तू भी कुछ नया कर !!

इस अधखुली दुनियां की ,
बात बहोत ही निराली है !
चमक तो दिखता है ,
पर दिन भी होती काली है !

टिप्पणी करने से डरता हूँ ,
क्या कहूँ ?कैसे कहूँ ?
उलझता जा रहा हूँ ,
इस अधखुली दुनियां में !!

राम शिरोमणि पाठक "दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 227

Comment

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Comment by ram shiromani pathak on January 20, 2013 at 12:44pm

हार्दिक धन्यवाद् स्वीकार करें Er. Ganesh Jee "Bagi"  जी 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 19, 2013 at 3:21pm

//टिप्पणी करने से डरता हूँ ,
क्या कहूँ ?कैसे कहूँ ?
उलझता जा रहा हूँ ,
इस अधखुली दुनियां में !!//

कब तक चुप रहे हम, कब तक गलत को स्वीकार करेंगे , बोलना तो होगा ही , आज खुद से बोलना होगा या कल मजबूर होकर । अच्छी रचना बंधी , बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

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