For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :-आग नहीं कुछ पानी भी दो


ग़ज़ल

आग नहीं कुछ पानी भी दो
परियों की कहानी भी दो |

छोटे होते रिश्ते नाते
मुझको आजी नानी भी दो |

दूह रहे हो सांझ-सवेरे
गाय को भूसा सानी भी दो |

कंकड पत्थर से जलती है
धरा को चूनर धानी भी दो |

रोजी रोटी की दो शिक्षा
पर कबिरा की बानी भी दो |

हाट में बिकता प्रेम दिया है
एक मीरा दीवानी भी दो |

जाति धर्म का बंधन छोडो
कुछ रिश्ते इंसानी भी दो |

बहुत हो गए लीडर अफसर
ग़ालिब मोमिन फानी भी दो |

Views: 475

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on November 29, 2010 at 4:02pm
shesh jee thanks i was out for few days but after returning i have seen your posts they are excellent congrats!!
Comment by Abhinav Arun on November 8, 2010 at 2:09pm
श्री जोगेश्वर जी ,बागी जी ,आदरणीय अनुपमा जी ,Anjana Dayal de प्रेवित्त जी ,आशीष जी आप सब ने ग़ज़ल सराही आभार ! आपके अलफ़ाज़ हौसला और ऊर्जा देंगे !!
Comment by Abhinav Arun on November 8, 2010 at 2:04pm
बागी जी चौथे शेर में कृपया धारा को "धरा" कर दें आभारी रहूँगा ! जानता था इस बार आपने बात अपने मन में रख ली !
Comment by jogeshwar garg on November 6, 2010 at 12:06pm
समझदार इंसानों को
थोड़ी-सी नादानी भी दो

सुन्दर ग़ज़ल !

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 6, 2010 at 10:14am
जाति धर्म का बंधन छोडो
कुछ रिश्ते इंसानी भी दो |

बेहतरी ग़ज़ल, सभी के सभी शे'र अच्छे है, कोट किया हुआ शे'र मेरे दिल को छुआ, बहुत बढ़िया, बेहतरीन अभिव्यक्ति हेतु बधाई |
Comment by Anupama on November 5, 2010 at 7:50pm
रोजी रोटी की दो शिक्षा
पर कबिरा की बानी भी दो |

हाट में बिकता प्रेम दिया है
एक मीरा दीवानी भी दो |
bahut sundar!!!
Comment by Anjana Dayal de Prewitt on November 5, 2010 at 6:47pm
waah! bahut khoobsurat!
Comment by आशीष यादव on November 4, 2010 at 6:07am
Waah, kya baat hai. Aaj ke sikudte rishto ko purjor failane ki koshish.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर और भावप्रधान गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"सीख गये - गजल ***** जब से हम भी पाप कमाना सीख गये गंगा  जी  में  खूब …"
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"पुनः आऊंगा माँ  ------------------ चलती रहेंगी साँसें तेरे गीत गुनगुनाऊंगा माँ , बूँद-बूँद…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल २२   २२   २२   २२   २२   …"
12 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service