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चाह है उसकी मुझे पागल बनाये

चाह है उसकी मुझे पागल बनाये,

बेवजह उड़ता हुआ बादल बनाये,

 

लोग देखेंगे जमीं से आसमां तक,

रेत में सूखा घना जंगल बनाये,

 

जान के दुखती रगों को छेड़कर,

दर्द की थोड़ी बहुत हलचल बनाये,

 

पास रखना है मुझे हर हाल में,

आँख का सुरमा कभी काजल बनाये,

 

दौर आया मुश्किलों की ओढ़ चादर,

और वो पत्थर मुझे दलदल बनाये,

 

मैं रहा तन्हा अकेला जिंदगी भर,

दूर सब अपने खड़े थे दल बनाये,

 

जान लो वो मार देगा जान से जो,

चासनी लब पर रखे हरपल बनाये....

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Comment

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Comment by अरुन 'अनन्त' on December 13, 2012 at 5:07pm

आदरणीय संदीप भाई सादर,
बधाई हेतु अनेक-2 धन्यवाद मित्र,
मित्र आप सत्य कह रहे हैं मैं कुछ ज्यादा ही जल्दबाजी कर जाता हूँ, यही कारण है खामियां रह जातीं हैं, आपके द्वारा दिए गए निर्देश का मैं अवश्य पालन करूँगा, कल से दुबारा वीनस भाई के द्वारा बताये गए ग़ज़ल के नियम को पुनः पढ़ रहा हूँ. आशा करता हूँ की आगे आप सभी को निराश न करूँ. सादर अरुन शर्मा

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 13, 2012 at 4:58pm

आदरणीय अरुण जी सादर
बधाई आपको इस ग़ज़ल पर , किन्तु 
इस बार कहन कमजोर सी लगी गुरुजन अपनी कीमती राय अवश्य देंगे
आशा है आप भी मेरे तरह जल्दबाजी को छोड़ संयम रखना शीघ्र ही आत्मसात करेंगे 
उससे बहुत सी बातें स्पष्ट हो जाती है
जैसे आदरणीय वीनस जी ने मुझे एक मोबाइल काल के वार्तालाप के समय कहा 
अपनी रचना को बार बार पढ़ के देखें बहर औ वजन खुद ब  खुद संयत हो जायेगा
ख्याल शब्दों में ऐसे बंधे के सब समझ में आये की आप क्या कहना चाहते हैं
बस जी हो गया
शुभकामनाओं सहित

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 13, 2012 at 3:55pm

आभार आदरणीय गणेश सर अदायगी को रवां करने की कोशिश जारी है.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 13, 2012 at 3:47pm

सुन्दर कहन अरुण जी , जरा अदायगी पर ध्यान दें , बातें स्पष्ट होनी चाहिए | बधाई इस अभिव्यक्ति पर |

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 13, 2012 at 3:16pm

शुक्रिया श्याम सर

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 13, 2012 at 3:16pm

धन्यवाद अजय सर

Comment by Shyam Narain Verma on December 13, 2012 at 3:10pm

BAHOT KHOOB

 

Comment by Dr.Ajay Khare on December 13, 2012 at 1:35pm

gajal badia he badhai

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