For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा: हराम-हलाल

मुझे थोड़ा बुरा तो लगा जब उसकी थाली में खाना परोसते वक़्त उसने मुझसे पूछा 
- ये चिकन किस दूकान से खरीदा था तुमने?
- वही पिकाडेली सर्कस स्टेशन के बाहर निकलते ही सीधे हाथ पर जो शॉप है ना, वहीं से
- ओत्तेरे की! यार मुझे कुछ वेज हो तो खाने को दे दो, वो स्साला गोरा हलाल मीट नहीं बेचता और तुम जानते ही हो कि मैं हराम नहीं खा सकता..
खैर कैसे भी मैंने जल्द-फल्द उसके लिए आलू-मटर की सब्जी तैयार कर दी थी। लेकिन अगले दिन जब ऑफिस में बॉस के गैरहाजिर होने पर उसे कम्प्युटर पर ताश का कोई गेम खेलते देखा तो पिछली रात को उसका बताया गया उसूल मैंने उसे याद दिला दिया। वो अगला-पिछला सब भूल हाथापाई पर कुछ यूं उतरा कि मेरी नज़र से उतर गया। तब से न वो मेरी सुनना पसंद करता है और न मैं उसे कुछ कहना।
दीपक मशाल

Views: 530

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dipak Mashal on December 14, 2012 at 12:18am

शुक्रिया बागी भाई एवं सौरभ भाई साब।

Comment by Dipak Mashal on December 14, 2012 at 12:17am

लघुकथा के सत्य को स्वीकारने के लिए धन्यवाद अजीतेंदु, प्राची जी, अजय जी, लक्ष्मण जी, सीमा जी एवं सुमन जी।

Comment by Dipak Mashal on December 14, 2012 at 12:15am

यह बड़ी आम बात हो गई है प्रदीप जी। शुक्रिया 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 12, 2012 at 8:44pm

हलाल और हराम को अपनी सुविधा के अनुसार परिभाषित करती वैचारिकता और इस तरह के मनस पर अच्छा प्रहार है. संवाद प्रक्रिया की अनूठी शैली की लघुकथा के लिए बधाई.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 12, 2012 at 8:43pm

दोहरे चरित्र को उजागर करती एक अच्छी लघु कथा , बहुत बहुत बधाई भाई दीपक मशाल जी ।

Comment by SUMAN MISHRA on December 12, 2012 at 6:53pm

bahut achhee lagee mujhe ye katha,,,,

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 12, 2012 at 3:51pm

अच्छा सन्देश देती सटीक लघु कथा बधाई

Comment by seema agrawal on December 12, 2012 at 3:13pm

शब्दों और उसके अर्थों को सुविधानुसार जीते दोहरे चरित्रों पर सटीक कटाक्ष ....बधाई दीपक जी 

Comment by Dr.Ajay Khare on December 12, 2012 at 1:58pm

bahut umda bakaya sunaya aapne badhai

Comment by Dr.Ajay Khare on December 12, 2012 at 1:58pm

deepak ji ajkal darpan dikhana kisi apradh se kam nahi hota koi dekhna pasand nahi karta

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
6 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
9 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
9 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
9 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
9 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service