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ग़ज़ल - इतनी शिकायत बाप रे

एक और शुरुआती दौर की ग़ज़ल......
कच्चे अधपके ख्यालात.......
एक दो शेअर शायद आपने सुना हो, पूरी ग़ज़ल पहली बार मंज़रे आम पर आ रही है
बर्दाश्त करें ....


इतनी शिकायत बाप रे  |
जीने की आफत बाप रे  |

हम भी मरें तुम भी मरो,
ऐसी मुहब्बत बाप रे |

जो खौफ बाँटें उनके भी,
लब पर तिलावत बाप रे |
तिलावत - कुरआन पाठ


नेता दरोगा और क्लर्क,
इनकी शराफत बाप रे |

शब भर करें हैं जुल्म और,
दिन भर इबादत बाप रे |

ऐसी पडी है देश को,
लुटने की आदत बाप रे |

कुछ शर्म कर अह्.ले  सुखन,
पल पल सियासत बाप रे | 

घायल पड़ा है जब वतन,
फिर भी शराफत बाप रे |

२४/०४/२०१०

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Comment by वीनस केसरी on December 19, 2012 at 9:37pm

खुले दिल से मिली दाद ओ तनकीद और हौसला अफजाई के लिए आप सभी का तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ


Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 12, 2012 at 11:38pm

बाप रे बाप! अच्छे अश’आर हैं साहब। दाद कुबूल हो।

Comment by ajay sharma on December 12, 2012 at 10:33pm

और भी हैं सुखनवर ओबिओ में 

आप जैसा मगर बाप रे  1

कच्चे अधपके ख्यालात हैं ये  ?

हर शेर में इतना असर बाप रे  2 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 12, 2012 at 8:40pm

छोटी बहर अच्छी ग़ज़ल,
इतनी कसावट बाप रे |
दाद कुबूल करें वीनस भाई |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 12, 2012 at 7:05pm

वीनस तेरा ’हर बार मैं-
उम्दा कहूँ’ लत बाप रे !... .

अब और क्या कहूँ ?!! .. . बधाई-बधाई.. . बहुत-बहुत बधाई. 

Comment by Shyam Narain Verma on December 12, 2012 at 5:39pm

BAHOT KHOOB JEE

Comment by राजेश 'मृदु' on December 12, 2012 at 5:35pm

कच्‍चे-कोरे मन बड़े अच्‍छे होते हैं ठीक वैसी ही यह गजल भी है, सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 12, 2012 at 5:29pm

क्या बात है वीनस सर जी जय हो
बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने
अब क्या कहूँ

चोरी से इनके घर चलें 
पर शानो सौकत बाप रे 

बहुत खूब सर जी

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on December 12, 2012 at 5:07pm

बधाईयां-बधाईयां ढेरों बधाईयां.. पुराने रत्न जगमगा रहे हैं..

नेता, दरोगा और क्लर्क,

इनकी शराफ़त बाप रे --> वादा करें यह लाख पर,

                               छूटे न आदत बाप रे;

शब भर करें हैं ज़ुल्म और,

दिन भर इबादत बाप रे! --> अल्लाह मेरे इनसे अब,

                                  कर तू हिफ़ाज़त बाप रे; 

पुनश्चः बधाई.. :-))

Comment by Dr.Ajay Khare on December 12, 2012 at 1:55pm

bahut sateek vyang he kesari ji aap badai ke hakdaar he

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