For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सब तो यहाँ हैं अजनबी

हाँ प्यार से इकरार है

पर शिर्क से इंकार है

 

अब दिल में वो जज़्बा नहीं

बस प्यार का बाज़ार है 

 

मेरा ठिकाना क्या भला

जब बिक चुका घर-बार है

 

आँखों में हैं सपने जवाँ

एक बीच में दीवार है

 

ये शाम तो अब ढल चुकी

बाकी मगर ख़ुमार है

 

है काम आती कोशिशें

यूँ हारना बेकार है 

 

दिल में वफ़ादारी नहीं

क्यों प्यार का इज़हार है 

 

अब नींद भी आती नहीं

जब जिंदगी बेज़ार है

 

वादा किया तुमने नहीं

तेरा मगर इंतज़ार है

 

थी प्यार में ताकत बहुत

क्यों प्यार अब लाचार है

 

लेता नहीं है सुध कोई

पूरा भरा परिवार है

 

चाहो परखना गर हमें

हम तो सदा तैयार हैं

 

पल में बदल जाए कथन

कैसा तेरा किरदार है

 

सब तो यहाँ हैं अजनबी

किससे कहें के प्यार है 

Views: 784

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on December 12, 2012 at 1:52am

बहुत खूब ....

चाहो परखना गर हमें
हम तो सदा तैयार हैं

शानदार जज़्बा है

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 11, 2012 at 1:27pm

शानदार अभिव्यक्ति हेतु बधाई 

सादर 

Comment by नादिर ख़ान on December 11, 2012 at 11:58am

"हौसला अफजाई के लिए धन्यवाद भाई सूर्या बाली जी ..."

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on December 11, 2012 at 10:25am

नादिर भाई नमस्कार!

छोटे बहर में अच्छी ग़ज़ल हुई है...खास कर ये शेर बहुत अच्छा लगा:

आँखों में हैं सपने जवाँ

एक बीच में दीवार है॥

दाद कुबूल करें! 

Comment by नादिर ख़ान on December 11, 2012 at 10:17am

शुक्रिया जगदानंद जी ......

Comment by जगदानन्द झा 'मनु' on December 11, 2012 at 12:08am

सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई नादिर ख़ान साब 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
4 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
7 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service