हर दुःख मुझे देता है प्रेरणा
संघर्ष को और बढाने की |
हर हार मुझे देती है आशा
जय को करीब लाने की |
बिखर जाये जब मन मेरा
मैं उसके मोती चुन लेता हूँ |
निराशा के हर अंगारे को
मैं अमृत समझ के सहता हूँ |
ये निराशा मेरे प्रेम की भाषा
जल्दी ही बन जाने की |
हर दुःख मुझे देता है प्रेरणा.....
पतझर में जो झर गये पत्ते
आने पे सावन खिल जायेंगे |
मनुष्य यदि प्रयास करे तो
बिछड़े क्षण भी मिल जायेंगे |
जीवन डगर पर कदम बढ़ाना
ये बात नहीं भूल जाने की |
हर दुःख मुझे देता है प्रेरणा.....
Comment
डा. प्राची सिंह जी, आपके विचारों के लिए बहुत धन्यवाद| बताई गयी दोनों पंक्तियों को साधने का प्रयत्न करता हूँ|
सादर,
चंद्रेश
आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी, आपके आशीर्वचनो के लिए बहुत धन्यवाद| ऐसे ही आशीर्वाद बनाए रखें |
सादर,
चंद्रेश
बहुत सुन्दर भावों को अभिव्यक्त किया है आपने इस गीत में चंद्रेश जी , हार्दिक बधाई
ये निराशा मेरे प्रेम की भाषा
जल्दी ही बन जाने की |
पतझर में जो झर गये पत्ते
आने पे सावन खिल जायेंगे |...इन दो पंक्तियों को थोडा और साधने का प्रयत्न करे.
एक भाव प्रधान बेहतरीन रचना.
सुन्दर भाव पसंद आये सन्देश देती रचना बधाई |
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