For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गैस होगी न कोयला होगा
चूल्हा ग़मजदा मिला होगा

पेट रोटी टटोलता हो जब
थाल में अश्रु झिलमिला होगा

भूख की कैंचियों से कटने पर
सिसकियों से उदर सिला होगा

चाँद होगा न चांदनी होगी
ख़्वाब में भी तिमिर मिला होगा

भोर होगी न रौशनी होगी
जिंदगी से बड़ा गिला होगा

लग रहा क्यूँ हुजूम अब सोचूँ
मौत का कोई काफिला होगा

बेबसी की बनी किसी कब्र पर
नफरतों का पुहुप खिला होगा

अब बता "राज"दोष है किस का
जिंदगी ने उसे छ्ला होगा

Views: 652

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 6, 2012 at 7:39pm
आदरणीय सौरभ जी मैंने ये ग़ज़ल बशीर बद्र जी की इस ग़ज़ल से प्रेरित होकर लिखी है इसमें काफिया आ लिया हुआ है क्या मेरी ग़ज़ल में काफिया आ नहीं हो सकता मेरा यह संशय दूर करें प्लीज 
आस होगी न आसरा होगा

आने वाले दिनों में क्या होगा

मैं तुझे भूल जाऊँगा इक दिन
वक़्त सब कुछ बदल चुका होगा


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 6, 2012 at 7:27pm

आदरणीया राजेश कुमारीजी, उस हिसाब से तो काफ़िया पर ही बात अँटक जाती है. आपके मतले के अनुसार काफ़िया ’अला’ निर्धारित होता है. लेकिन कई शेर में काफ़िया ’इला’ लिया गया है.

कब्र की मात्रा २ कैसे हो सकती है ? यह शब्द के लिहाज से २ १ होगी और उच्चारण के लिहाज से १ २ .

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 6, 2012 at 7:07pm

 आदरणीय सौरभ जी पकड़ लिया आपने सच में मैं सोच ही रही थी चूल्हे शब्द पर अटक रही थी पर कोई और शब्द सूझ नहीं रहा था इसलिए इसे ही डरते डरते लिख दिया आप इसकी जगह कोई और शब्द सुझा सकें तो प्लीज !!हार्दिक आभार आपका दूसरे  शेर में क्या आपका इशारा कब्र की मात्र से है मैंने इसे 2 गिना है गलत है क्या ??


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 6, 2012 at 6:02pm

आपका निरंतर प्रयास आश्वस्त करता है, आदरणीया राजेशकुमारीजी.  बहुत उम्दा प्रयास हुआ है. बेहतर भाव और कहन से समृद्ध इस ग़ज़ल के लिये हार्दिक बधाई.

शिल्प के लिहाज से कुछ शेर अभी और मशक्कत की मांग कर रहे हैं. सरसरी तौर पर तो जैसे मतले के सानी में चूल्हा  को १ २ के वज़्न में बाँधने में तक़लीफ़ हो रही है ..   :-))

या, बेबसी की बनी किसी कब्र पर  को भी एक बार पुनः देख लीजियेगा. 


इस शेर के लिये विशेष बधाई स्वीकार करें -

भूख की कैंचियों से कटने पर
सिसकियों से उदर सिला होगा

वाह ! वाह !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 6, 2012 at 5:05pm

आदरणीय प्रदीप कुशवाह जी हार्दिक आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 6, 2012 at 4:39pm

भूख की कैंचियों से कटने पर 
सिसकियों से उदर सिला होगा 

adarniya rajesh kumari jii, 

saadar abhivadan

nishchit hi jindagi ne chala hae.

badhai


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 6, 2012 at 4:30pm

फूल सिंह जी  आपको रचना पसंद आई हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 6, 2012 at 4:29pm

नादिर खान जी आपको रचना पसंद आई दिल से शुक्रिया 

Comment by PHOOL SINGH on November 6, 2012 at 3:47pm

राजेश जी प्रणाम....

बहुत भावपूर्ण सत्य को उजागर करती रचना के लिए बधाई...

फूल सिंह

Comment by नादिर ख़ान on November 6, 2012 at 3:41pm

गैस होगी न कोयला होगा 
आसुओं से चूल्हा जला होगा 

भूख की कैंचियों से कटने पर 
सिसकियों से उदर सिला होगा

 

राजेश कुमारी जी ,उत्तम सोच के साथ लिखी गई गंभीर   रचना के लिए बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service