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आभार तुम्हारा कैसे माँ, मै व्यक्त करूँ....?
जीवन के बदले बोलो माँ मै क्या दे दूँ....?

तेरी मिट्टी की खुशबू माँ ...
मेरे तन मन मे छाई है.....
तेरी आशीषें ले कर ही...
पुरवाई फिर से आई है....
सुख यश की इन सौगातों का उपकार मै कैसे व्यक्त करूँ...?
जीवन के बदले बोलो माँ मै क्या दे दूँ...?

तेरी मिट्टी से जो उपजा ,
वह अन्न बड़ा बलदायी है...
तुझको छू कर ही पवन आज
शीतल है...व सुखदाई है...
इन सुंदर सुखद बहारों का मै मोल तुम्हे कैसे दे दूँ...?
जीवन के बदले बोलो माँ मै क्या दे दूँ ...?

तुमसे पोषित मन मचल रहा...
नयनों से नीर न थमते हैं....
तेरी शोभा मे लीन नयन ,
पल भर भी नहीं झपकते हैं...
तो तुम ही बोलो कैसे माँ शत बार तुम्हारा नमन करूँ...?
जीवन के बदले बोलो माँ मै क्या दे दूँ...?

जो भूखे-नंगे जीते है...
जो नयन नीर ही पीते हैं...
उनका भी सुखद बिछौना तुम
भय हीन नींद वे सोते हैं.....
ओ स्नेहमयी माँ बोलो न...कैसे जीवन अर्पण कर दूँ?
जीवन के बदले बोलो माँ मै क्या दे दूँ....?
डा. बृजेश कुमार त्रिपाठी

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Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 26, 2010 at 11:31am
माँ तुझे सलाम, धरती माँ से बड़ी दुनिया मे कोई नहीं है, माँ को समर्पित एक बेहतरीन कृति, आप बधाई के पात्र है | ऐसी रचना यदा कदा ही पढ़ने को मिलती है |
बहुत बढ़िया |
Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 25, 2010 at 6:29pm
नवीन जी , आशीष जी आपके कमेन्ट मेरे लिए बहुत मूल्यवान हैं कृपया कृपा बनाये रहिये
Comment by आशीष यादव on October 24, 2010 at 10:33am
तुमसे पोषित मन मचल रहा...
नयनों से नीर न थमते हैं....
तेरी शोभा मे लीन नयन ,
पल भर भी नहीं झपकते हैं...
तो तुम ही बोलो कैसे माँ शत बार तुम्हारा नमन करूँ...?
जीवन के बदले बोलो माँ मै क्या दे दूँ...?

bahut sundar prastuti ki ha aapne. bahut sundar laga. apni dharti mata ko naman.

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