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आज फिर बदली सी हवा है, 
उदास मन फिर आज अकेला है.


सावन की रिमझिम और ये तन्हाई,
आज रुसवाई को उनका जमाना हुआ है.

स्याह रातो में पसरा ये सन्नाटा ,
ये चाँद के रूठ जाने की सजा है.

राज शब्दों में ढूंढता है जिंदगी का मतलब.
ये खुद को बहलाने की इक दवा है .

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Comment by राज़ नवादवी on October 5, 2012 at 12:29pm

//स्याह रातो में पसरा ये सन्नाटा ,
ये चाँद के रूठ जाने की सजा है.//

बढ़िया शेर है और अच्छा प्रयास. बधाई हो. 

Comment by seema agrawal on October 4, 2012 at 9:03pm

खूबसूरत नज्म  ............
राज शब्दों में ढूंढता है जिंदगी का मतलब.
ये खुद को बहलाने की इक दवा है


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 4, 2012 at 8:30pm

बहुत अच्छी प्रस्तुति 

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