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बुजुर्ग दिवस के उपलक्ष में

बुजुर्ग दिवस के उपलक्ष में 

सेदोका एक जापानी विधा ३८ वर्ण ५७७५७७

(१)बूढ़ा बदन 

कंपकपाते हाथ 

किसी का नहीं साथ 

लाठी सहारा 

पाँव से मजबूर 

बेटा बहुत दूर 

(२)धुंधली आँखें 

झुर्री  भरा चेहरा 

भाव बड़ा गहरा 

भूख है लगी 

चूल्हे पर नजर 

बच्चे हैं बेखबर

(३)बीमार बूढा 

रात भर खांसता

परिवार कोसता 

गीला बिछौना

सर्दियों का महीना 

मुश्किल हुआ जीना 

(४)एकांत कक्ष 

मन कहाँ लगता 

प्यार को तरसता 

कुछ बोला तो 

ऐश में  बना रोड़ा 

वृधाश्रम में  छोड़ा 

(५)सौभाग्य वही 

वृद्धों का जो साथ है 

आशीष का हाथ है 

उनसे पूछो 

ना माँ है ना बाप है 

जीना अभिशाप है 

************  

 

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 4, 2012 at 9:18am

आदरणीय सौरभ जी हार्दिक आभार रचना के मर्म को महसूस करने के लिए ,आस पास घटने वाली घटनाएं ,अनुभव ही लिखने की प्रेरणा देते हैं |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2012 at 10:34pm

हृदय भर आया और् अमन नम हो गया.  कुछ शब्द-चित्र तो एकदम से झकझोर देते हैं. इस सफल अभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाइयाँ.

एक बात और, आपने विधा को बेहतर निभाने की कोशिश की है.  पुनः बधाइयाँ.

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 3, 2012 at 8:40am

हार्दिक आभार प्रिय कुमार अजीतेंदु जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 3, 2012 at 8:39am

आदरणीय सतीश मापत पुरी जी हार्दिक आभारी हूँ रचना के मर्म को महसूस करने के लिए और प्रशंसा करने के लिए 

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on October 3, 2012 at 8:06am

आदरणीया राजेश जी.....बुजुर्गों के सम्मान में लिखी एक सार्थक रचना के लिए बधाई स्वीकारें.........

Comment by satish mapatpuri on October 3, 2012 at 1:59am

ये बुजुर्ग ही हमारी थाती हैं . आज के युवा पीढ़ी  इस थाती की उपेक्षा करने लगी है ,ऐसी स्थिति में  आपकी इस रचना की सार्थकता  और बढ़ जाती है . इस सारगर्भित सामयिक रचना के लिए बधाई राजेश कुमारी जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 2, 2012 at 4:26pm

बहुत बहुत शुक्रिया प्रिय प्राची जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 2, 2012 at 4:25pm

हार्दिक आभार गणेश बागी जी आपको रचना पसंद आई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 2, 2012 at 2:18pm

बुजुर्गों को पीड़ा को बहुत संवेदनशीलता  के साथ व्यक्त किया है. इस अभिव्यक्ति हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 2, 2012 at 2:08pm

बहुत ही सामयिक रचना है आदरणीया, बहुत बहुत बधाई इस शानदार अभिव्यक्ति पर |

कृपया ध्यान दे...

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"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
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